आप भी बना सकते है DAP का विकल्प
०--बाबूलाल दाहिया
गेहू इस विन्ध्य में हमारी खेती की प्रमुख फसल है। पर बीते कुछ वर्षो से उसका लागत खर्च बहुत बढ़ गया है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा का मापदंड सोना है। मुझे 62 के चीनी हमले का स्मरण है जब देश में अनाज की कमी थी तो अमरीका pl 480 के तहद जो अनाज देता था तो बदले में सोना ही लेता था।
पर उस साठ के दशक में हमारे बड़ेभाई यदि पाँच मन ",लगभग 2 कुन्टल "गेहू बेच देते तो 1तोला "लगभग11 ग्राम"सोना खरीद लेते थे। पर अगर आज कोई किसान एक तोला सोना खरीदे तो उसे अपना 25 कुन्टल गेहू बेचना पड़ेगा। इस लिये आज खेती लाभ का धंधा नही रहा।
इधर जुताई बुबाई और कटाई का खर्च बढ़ा ही , उर्वरकों के भाव भी आसमान चढ़ गए । और खेत ऐसे नशा खोर हो गए है कि अगर dap न दी जाय तो जुताई कटाई का पैसा भी पटना मुश्किल होता है । पर dap का भाव जिस गति से बढ़ा है उस गति से अनाज का मूल्य नही बढ़ा । यही कारण है कि किसान पुत्र खेती के बजाय शहर की ओर पालायन कर अब छोटी मोटी नोकरी करना ज्यादा अच्छा मानते है।
पर खेती किसान की परम्परा गत अजीविका है। वह चलती रहे और उसकी जमीन भी सुरक्षित रहे इसलिए आइये DAP के विकल्प की ओर चले।
सामग्री
1--100 किलो ग्राम गोबर
2---5 किलो ग्राम राख
3--25 लीटर गोमूत्र
4--1 लीटर मट्ठा
5 --3 किलो ग्राम पुराना,काला गुण,
6--2 किलो ग्राम बेसन
इन सब को अच्छी तरह मिला कर 12 से 15 दिन तक ढक कर रखे। और प्रति दिन एक बार उसे पल्टाए। फिर खेत में बिखेर दे। इससे आप के खेत में सभी पोषक तत्वो की पूर्ति हो जाय गी। और उत्पादन अच्छा मिलेगा।
यह खेत की बुबाई के पहले तैयार करे और इसकी पहली खुराग तो बुबाई के पहले य पहली सिचाई के पहले दे पर दूसरी खुराग भी दूसरी सिचाई के पहले तक खेत में बिखेर देनी चाहिए । इस से पौधों की बढ़त अच्छी होती है।
इसकी 400 कि .ग्रा. मात्रा प्रति एकड़ पर्याप्त होती है।
और काफी कम लागत में DAP का विकल्प बन सकती है।
प्रस्तुत चित्र कृषकों और कृषक महिलाओं के प्रशिक्षण का है।