आदर्श और सुसंगठित है कतिया समाज
गंजाल और मौरण दोनों ही बहुत ही पवित्र नदियां हैं दोनों नदी का उद्गगम चाहे अलग-अलग हुआ हो परंतु मेल एक ही स्थान पर है और वह स्थान है छिदगांव जिसे छिदगांव मेल के नाम से जाना जाता है हमारे पूर्वजों की मौखिक बातों के अनुसार प्राचीन समय में कतिया समाज छिदगांव मेल पर आकर रुका था और यहीं से जो इकट्ठा समाज था वह अलग-अलग अपने पेट की भूख मिटाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों /गांव में जाकर बस गया, जब हमारी संख्या बहुत कम रही होगी धीरे-धीरे समय बीत गया और विभिन्न गांव में हमारी जनसंख्या बढ़ती चली गई जिन लोगों को जिन मालगुजार के यहां काम मिला वे वही काम करने लगे जैसे जैसे उन परिवारों के पास पैसा आता गया वैसे वैसे वे परिवार आर्थिक रूप से विकास करने लगे कुछ परिवारों ने जमीन खरीद ली वे आज किसान हैं जिन्होंने जमीन नहीं खरीदी वह मजदूरी ही करते रहे और आज भी मजदूरी ही कर रहे हैं समय के साथ कुछ परिवारों ने अपने बच्चों को पढ़ाना प्रारंभ किया और वह पढ़ लिखकर ज्ञान प्राप्त होने पर अपनी बुद्धि एवं तर्क का उपयोग करते हुए प्रशासन की व्यवस्थाओं को समझ कर उनका लाभ लेने लगे जैसे जाति का प्रमाण पत्र लगाकर स्कूलों में प्रवेश कम फीस में पढ़ना छात्रावास में रहना और विभिन्न समस्याओं से जूझते हुए जैसे पैरों में जूते चप्पल नहीं होते थे पहनने को एक जोड़ी कपड़े होते थे सप्ताह में एक बार धोकर पहनना छात्रावासों में जो खाना मिलता था उसकी क्वालिटी ऐसी थी कि किसी प्रकार पेट भरना था किसी प्रकार पढ़ने के बाद नौकरी के लिए फार्म भरे और आरक्षण जैसी सुविधा के कारण विभिन्न विभागों में नौकरियां लगी और पदोन्नति में आरक्षण की वजह से प्रमोशन मिलते गए और परिवार में पैसा आता गया इसी प्रकार जो परिवार ने जमीन ली उसमें लगन से खूब मेहनत की और शासन की व्यवस्था का लाभ लेकर जैसे खेतों में कुंऐ खुदवाए नदी से पानी लेने के लिए डीजल इंजन लिए आधुनिक यंत्रों का उपयोग कर आधुनिक खाद बीज का भी उपयोग कर लगन से मेहनत कर आज वे अच्छे किसान बन गए हैं और उन्होंने भी अपने बच्चों को और नौकरी करने वाले परिवारों ने भी अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलवाई और आज छोटी नौकरी से लेकर बड़े अधिकारी तक हो गए हैं गांव से निकलकर शहर में बस गए हैं छोटे बड़े मकान बना लिए हैं और समाज की बेटियां भी पढ़ लिखकर नौकरियां करने लगी है आज हम कह सकते हैं कि कतिया समाज विकासशील समाज है आज पूरा कतिया समाज एक है सभी के सुख दुख में बराबर उपस्थित होते हैं समाज के परिवार भले ही विभिन्न प्रदेशों में जिलों में तहसीलों में गांव से लेकर शहरों में बसे हैं पर आज समाज में एकता है किसी भी जगह जब कोई सामाजिक बड़ा प्रोग्राम होता है जैसे परिचय सम्मेलन तो पूरा समाज बिना कोई मनमुटाव के वहां उपस्थित होता है और एक मंच पर आते हैं इससे यह सिद्ध होता है कि पूरा कतिया समाज में एक जुटता है कहीं किसी से कोई नफरत नहीं है और सभी लोग समाज विकास की बात करते हैं और अपने अपने तरीके से समाज सुधार के कदम उठाते हैं रहते हैं उन समाज सुधारकों द्वारा उठाए कदमों को पूरा समाज मानता है और व्यवहार में लाता है आज समाज में क्षेत्र के अनुसार विभिन्न समितियां है सभी समिति पदाधिकारी समाज हित में अच्छा काम कर रहे हैं मैं कतिया समाज का एक व्यक्ति होने के नाते इतना अवश्य कहना चाहूंगा कि पूरा कतिया समाज मैं एकता है और यही एकता हमेशा बनी रहेगी शिक्षित व संगठित होने का कतिया समाज एक अच्छा उदाहरण है। विकासशील समाज को विकसित समाज बनाने के लिए सदियों से चली आ रही रूढ़ीवादी व्यवस्थाओं ,परंपराओं प्राचीन धर्म ग्रंथों को बुद्धि और विवेक से समझ कर तर्कसंगत पर आधारित पुस्तकों का अध्ययन करना होगा तथा समानता वादी सिद्धांत पर चलने वाले जैसे गौतमबुद्ध संत कबीर ,गुरु नानक ,पेरियार ,ज्योतिबा फुले ,साहू जी महाराज, बीआर अंबेडकर का साहित्य पढ़ना और समझना होगा यही आज समय की मांग है वरना यह समाज आने वाले वर्षों में बहुत पीछे चला जाएगा यह आज की प्रशासनिक व्यवस्थाऔ को देखते हुए हम समझ सकते हैं।
- के पी चौरे इटारसी