मेरा समाज मेरा आईना कविता

 

मेरा समाज मेरा आईना 

कवि हरे राम चौरे विकट


मेरी हकीकत बयां करता है ।

मेरा समाज मेरा आईना है ।।


हर शख्स गर्व करता है ।

मेरा समाज मेरा आईना है ।।


क्यो ना गुरूर हो मुझको समाज पर

मेरा समाज मेरा आईना है ।।


पहचान है मेरी मेरे समाज से

मेरा समाज मेरा आईना है ।।


मेरा वजूद है मेरे समाज से

मेरा समाज मेरा आईना है ।।


इसकी हर रीत रस्म निभाता हूँ मै

मेरा समाज मेरा आईना है ।


मेरे संघर्ष मे मेरे सांथ है।

मेरा समाज मेरा आईना है।


पारस्परिक जागरूकता से सृजनात्मकता संभव है।

मेरा समाज मेरा आईना है ।


सामाजिक आधार पर अभीरूपता निर्भर है।

मेरा समाज मेरा आईना है ।।


समाज मे व्याप्त है व्यापकता ।

मेरा समाज मेरा आईना है ।।


प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष  दोनो तरह से सहयोगी है ।

मेरा समाज मेरा आईना है ।।


संबंधो के लिए जाग्रत औकर पथ प्रदर्शक है।

मेरा समाज मेरा आईना है। 


- हरेराम चौरे विकट

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