रक्षाबंधन
बहना आयेगी, राखी लायेगी ।
रक्षाबंधन पर्व की अनुपम खुशियाँ छायेगी ।
जब बहना घर पर आयेगी ,
आदर वह सबसे पायेगी ।
सखियों संग झूले झूलकर ,
पारम्परिक गीत गायेगी ।
झुक कर भैया पैर पड़ेंगे, वह आशीष लुटायेगी ।
बहना आयेगी, राखी...............
रक्षाबंधन का थाल सजाकर,
और मस्तक पर तिलक लगाकर ।
भैया की उतरेगी आरती,
दीपक और कर्पूर जलाकर ।
राखी बाँध अपने भैया को, मन ही मन हर्षायेगी ।
बहना आयेगी , राखी...............
श्रीफल पेड़े सजे थाल में,
खुशियाँ चमकेगी भाल में ।
खुशियाँ देखकर भैया सोचें,
सावन हो कई बार साल में ।
पहले भैया का मुंँह मीठा कर, बाद ही कुछ खायेगी ।
बहना आयेगी, राखी................
स्वागत में मृदंग बजाकर,
इन्द्र देवता जल बरसा कर ।
बिजली भी चमकेगी नभ में,
तिमिर में आलोक जगाकर ।
दामिनी बहना के रूप से, खुद व खुद शर्मायेगी ।
बहना आयेगी, राखी...............
शक्ति स्वरूपा बहन हमारी,
शक्ति ही है बहनें सारी ।
हर एक आशीष से प्रेरित,
पूरी हों आशाएंँ सारी ।
संकल्प भाई का रक्षा के हित, सुन आँख भर आयेगी ।
बहना आयेगी ,राखी................
रक्षाबंधन के त्यौहार में,
भाई बहन के प्यार में ।
अनंत कोटि पावनता है,
राखी के हर तार तार में ।
सूनी कलाई भैया की राखी से जगमगायेगी ।
बहना आयेगी ,राखी.................
बहना आयेगी, राखी लायेगी ।
रक्षाबंधन पर्व की अनुपम खुशियाँ छायेगी ।
बहना आयेगी, राखी.................
प्रहलाद सिंह चौरे
हरदा (म.प्र.)