रक्षाबंधन पर कविता बहना आयेगी, राखी लायेगी । रक्षाबंधन पर्व की अनुपम खुशियाँ छायेगी ।

 रक्षाबंधन



बहना आयेगी,     राखी लायेगी  । 

रक्षाबंधन पर्व की अनुपम खुशियाँ छायेगी । 

जब बहना घर पर आयेगी , 

 आदर वह सबसे पायेगी  । 

सखियों संग झूले झूलकर , 

पारम्परिक गीत गायेगी  । 

झुक कर भैया पैर पड़ेंगे, वह आशीष लुटायेगी   । 

बहना आयेगी, राखी............... 

रक्षाबंधन का थाल सजाकर, 

और मस्तक पर तिलक लगाकर । 

 भैया की उतरेगी आरती, 

दीपक और कर्पूर जलाकर  । 

राखी बाँध अपने भैया को, मन ही मन हर्षायेगी  । 

बहना आयेगी , राखी............... 


श्रीफल पेड़े सजे थाल में, 

खुशियाँ चमकेगी भाल में । 

खुशियाँ देखकर भैया सोचें, 

सावन हो कई बार साल में । 

पहले भैया का मुंँह मीठा कर, बाद ही कुछ खायेगी । 

बहना आयेगी, राखी................ 


स्वागत में  मृदंग बजाकर, 

इन्द्र देवता जल बरसा कर । 

बिजली भी चमकेगी नभ में, 

तिमिर में आलोक जगाकर । 

दामिनी बहना के रूप से, खुद व खुद शर्मायेगी । 

बहना आयेगी, राखी............... 


शक्ति स्वरूपा बहन हमारी, 

शक्ति ही है बहनें सारी । 

हर एक आशीष से प्रेरित,

पूरी हों आशाएंँ  सारी  । 

संकल्प भाई का रक्षा के हित, सुन आँख भर आयेगी । 

बहना आयेगी ,राखी................ 


रक्षाबंधन के त्यौहार में, 

भाई बहन के प्यार में । 

अनंत कोटि पावनता है, 

राखी के हर तार तार में ।

सूनी कलाई  भैया की राखी से जगमगायेगी । 

बहना आयेगी ,राखी................. 


बहना आयेगी,    राखी लायेगी । 

रक्षाबंधन पर्व की अनुपम खुशियाँ छायेगी । 

बहना आयेगी, राखी................. 


                   प्रहलाद सिंह चौरे

                       हरदा (म.प्र.)

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.