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- कवि प्रहलाद सिंह चौरे |
फांँसी के फंदे को भी ,हंँसकर गले लगाया था ।
सच्चा सपूत भारत माँ का, भगत सिंह कहलाया था ।
भारत के पंजाब प्रांत में ,जन्मा ऐसा मर्द था ।
भारत माँ के कष्टों का ,जिसके दिल में दर्द था ।
दुश्मन के छक्के छुड़वाना ,हरदम जिसको भाया था ।
सच्चा सपूत भारत माँ का............
परतंत्रता के अंधियारे पर ,विजय का अरमान था ।
दिल में अपनी मातृभूमि के लिये, बड़ा सम्मान था ।
इंकलाब के नारों से ,अँग्रेज बहुत घबराया था ।
सच्चा सपूत भारत माँ का............
क्रांति का ही बीज देश में ,जब से उसने बोया था ।
तब से वीर भगत सिंह कब ,कहाँ चैन से सोया था ।
क्रांति प्रतिमा बना ,क्रांति का ही ध्वज तो लहराया था ।
सच्चा सपूत भारत माँ का............
खतरों से खेला करना ,केवल उसको भाया था ।
मुर्दों के सीनों में भी ,देश प्रेम उपजाया था ।
त्याग और बलिदान राह पर ,चलना हमें सिखाया था ।
सच्चा सपूत भारत माँ का............
आजादी के दिवाने से, ब्रिटिश सत्ता कांँपी थी ।
दाल न अब गल पायेगी ,अँग्रेजी हुकुमत भांँपी थी ।
नित नये तरीकों से ,दुश्मन का दिल दहलाया था ।
सच्चा सपूत भारत माँ का...........
केन्द्र सभा में तूफानी, ओलावृष्टि सम बरसा था ।
फांँसी की जो सजा सुनाई, वीर बहादुर हर्षा था ।
प्राणों को न्यौछावर करके जीवन सफल बनाया था ।
सच्चा सपूत भारत माँ का............
प्राण दे कर वीर पुरुष ने ,माँ का मान बढ़ाया था ।
फर्ज जो था सच्चे सपूत का, पूरा कर दिखलाया था ।
सच पूछो तो भगत सिंह ने, अपना धर्म निभाया था ।
सच्चा सपूत भारत माँ का............
श्रृद्धा सुमन अर्पित करें हम, वी अमर बलिदानी को ।
प्रण करके हम देश भक्ति का, याद करें कुर्बानी को ।
जो मार्ग मंजिल तक पहुंँचा,वही मार्ग दिखलाया था ।
सच्चा सपूत भारत माँ का............
फांँसी के फंदे को भी हँसकर गले लगाया था ।
सच्चा सपूत भारत माँ का, भगत सिंह कहलाया था ।
- प्रहलाद सिंह चौरे
हरदा (म.प्र.)🙏