कविता - आत्मचिंतन करना जरूरी है - कतिया

 

🌹 कतिया 🌹
 -  प्रहलाद सिंह चौरे,हरदा
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आत्मचिंतन करना जरूरी है कतिया

कर्त्तव्य किये केवल कतिया ने अभी तक l
अधिकार क्या होता है,जाना न अभी तक। 

संगठित समाज ही विकसित हुआ है,
संगठन का महत्व समझा न अभी तक l

बुराइयाँ दूर करने का बीड़ा उठा लिया,
पर पहचान नकर सका उनकी अभी तक l

विकास की चिन्ता तो सदा ही रही है,
विकसित न हुआ कतिया फिर भी अभी तक l

राह पर तो कतिया चलता ही रहा है,
मंजिल न मिली क्यों फिर इसको अभी तकl

कतिया भी कई नेता हैं सिर्फ नाम के नेता,
दमदार नहीं कोई हुआ है अभी तकl

खुद न बैठ सका सरकार में तो क्या,
सरकारें कई बना दी कतिया ने अभी तक। 

कमी तो कहीं है पर कमी है कहाँ,
निर्धारित न कर सका यह कतिया अभी तक l

आत्मचिंतन करना भी जरूरी है कतिया,
कमी कहाँ रह गई इसमें अभी तक l

शनै शनै प्रगति का यह युग ही नहीं है,
क्रांति का न सोचा है इसने अभी तक l

संकल्प बिना तुझको मंजिल न मिलेगी,
भाग्य के भरोसे ही रहा है अभी तक l

शिक्षा का औसत भी सुधारना ही होगा,
जिसके बिना शोषण हुआ है अभी तक। 

सुधारने वालों का प्रतिशत जो भी हो मगर,
प्रगति का प्रतिशत पता न अभी तक l

आध्यात्मिक सद्ज्ञान भी जरूरी है कतिया,
अंधविश्वासों में केवल रहा है अभी तक l

मार्ग अपना चुनना जरूरी है कतिया,
तू भीड़ में ही चलता रहा है अभी तक। 

अग्रपंक्ति क्या होती है अभी नहीं पता,
क्योंकि पिछलग्गू रहा है अभी तकl।         

 -  प्रहलाद सिंह चौरे,हरदा



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