कतियाओं का गढ़ हमारा- हरदा

 

कतिया गौरव सितम्बर -नवम्बर 2016 अंक में प्रकाशित 

कतियाओं का गढ़ हमारा - हरदा

 यूं कहा जाए तो हमारे प्यारे भारत देश में हरदा जिला का नाम बहुत लोग नहीं जानते होंगें। किसी किसी ने तो यह नाम भी नहीं सुना होगा। फिर भी इस हरदा जिले को कोई अलग पहचान दिलाता है तो वह है हमारे कतिया बंधु। क्योंकि लगभग सभी कतिया हरदा जिले से ही अन्य स्थान पर नौकरी या व्यवसाय करने गए हुए हैं। यह कहना अतिश्योक्ति नहीें होगा कि हरदा एकमात्र ऐसा जिला है जिसके निवासी या इनके रिश्तेदार भारत में कहीं न कहीं हैं। यहीें से हमारा फैलावा अन्य शहरों में हो गया है।

    प्राप्त जानकारी के अनुसार हम सभी कतिया बंधु लगभग 300 वर्ष पूर्व खजुराहो के चंदेल वंश या राजस्थान के कठियावाड़ से साथ-साथ आकर छिदगांव मेल की गंजाल नदी के पास रुके थे। यहीं से हम अपनी सुविधा अनुसार हरदा जिले में इधर-उधर बस गए हैं और यहीं निवास कर जीवन यापन करने लगे। फिर हमनंे निरंतर सुधार करते हुए अपनी बुद्धि विवेक से भारत के अनेक स्थानों पर नौकरी व व्यवसाय प्रारंभ कर दिया और वहीं के निवासी बन गए। लेकिन सच्चाई तो यही है कि हम हरदा के ही मूल निवासी हैं। 

 वैसे तो मध्य प्रदेश में हरदा जनसंख्या की दृष्टि से सबसे छोटा जिला है। लेकिन इस हरदा जिले में ही हमारे कतिया बंधु सर्वाधिक रहते हैं। यहीें अपना व्यवसाय,नौकरी,मजदूरी,कृषि कार्य करके जीवन यापन करते हैं और इसी कारण पूरे मध्यप्रदेश में यह कतियाओं का गढ़ बन (घर) गया है। 

 हमारा हरदा है ही इतना प्यारा, यहां का वातावरण शांत एवं शुद्ध है। यहां के  निवासी कतिया बंधु बहुत ही व्यवहारिक, निस्वार्थ,मिलनसार,सत्यवादी,समझदार और कर्मठ हैं। इस जिले में कतिया बंधु हर गांव में मिलजुलकर सामजिक एकता के साथ रहतें हैं। कतिया बंधु अपनी सामजिक परंपराऐं,विवाह और सामाजिक कार्यक्रमों में मिलजुलकर भाग लेते हैं। इस जिले में हम सभी प्रमुख त्यौहारों के साथ वीर आखा जी जयंति,वीर भानाजी जयंति,संत भूरा भगत,संत सिंगाजी महाराज,भैरूआजा,सत्तीमाता सहित अपने पूर्वजों और आराध्य देवों को भी मानते और मनाते हैं। हमारे बीच परस्पर प्रेम भाईचारे की भावना से ओतप्रोत हम हर त्यौहार मनाते हैं। हम सभी एक दूसरे के सूखदुख में काम आते हैं। 

 कड़वा चाहे निपट चंदन से कम नहीं। हरदा मेरा छोटा ही सही पर लंदन से कम नहीं।

     हरदा जिले में समाज के अग्रज बंधुओं ने सामाजिक सुधार के अनेक कार्यक्रम किए हैं और आगे भी यह क्रम अनवरत संचालित है। इस जिले का प्रत्येक व्यक्ति,समाज के उत्थान,विकास और जनकल्याण के लिए प्रयासरत है। इसके अनेक उदाहरण हैं जिनमें प्रमुख देवास जिले में कतिया समाज की निर्माणाधीन धर्मशाला छिपानेर, कतिया समाज की धर्मशाला हंडिया, कतिया छात्रावास हरदा आदि। इसके अलावा हरदा के आसपास समय-समय पर विशाल निशुल्क विवाह सम्मेलनों सभाओं का आयोजन करवाना मुख्य रहा है।

     इन सब में प्रमुख अधिक हमारे मार्गदर्शक श्री रामलाल बडनेरे व कतिया बंधुओं के अथक प्रयास से  हरदा जिले की आन बान और शान सामाजिक आध्यात्म का केंद्र श्रीराम जानकी मंदिर जलौदा है। श्रीराम जानकी मंदिर जलौदा का 2007 में भूमि पूजन किया गया। मॉ नर्मदा की गोद में बना यह रमणीक दर्शनीय स्थल है। यह समाज का शक्ति स्थल भी है। प्रति वर्ष इस पावन भूमि पर सामाजिक बंधुओं रामनवमी के दिन विगत 14 साल से एवं भंडारे एवं  5 वर्ष से निशुल्क विवाह का आयोजन किया जाता है। इसमें शासन की योजनाओं के अनुसार मुख्यमंत्री कन्यादान योजना का लाभ दिलवाया जाता है। हमारे बंधु यहीं से भगवान श्रीराम के आशीर्वाद से जीवन की शुरुआत करते हैं।

    हम सब कतिया बंधु श्रीराम जानकी मंदिर को अधिक से अधिक विकसित कर समाज का शक्ति स्थल इनाने के लिए प्रयासरत है। इस स्थान का समुचित विकास कर इस स्थान से समाज का राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व किया जाए। इसी स्थान पर कतिया कुंभ का आयोजन किया जाए। इस कार्य में हम सभी सहयोग कर इस कार्यक्रम में सहभागी बन सहयोग प्रदान करें। यह मेरा विनम्र निवेदन है।

    श्रीराम जानकी मंदिर कतिया समाज की आन बान और शान का प्रतीक बनकर भारत की शान बनें एसा प्रयास किया जाना चाहिए। हमें समाज के इतिहास को खोजने का प्रयास करना होगा। जिससे हम आने वाली पीढी को हमारे गौरवशाली इतिहास से परिचय करा सकें। हमें सदैव अपने संस्कार और संस्क्रति संरक्षण के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। हमें हमारे रीतिरिवाजों परंपराओं का निर्वाहन निष्ठा के साथ करना चाहिए। हमारे बच्चों को हमें शिक्षा के साथ संस्कारवान बनाना होगा, जिससे बच्चे शिक्षित बनें आगे बढ़े उच्च अदर्श स्थापित करें। पढ लिख कर वे हमें और हमारे संस्कारों को न भूलाते हुए समाज में ही परिजनों की सहमति से विवाह करें। जिससे हमारा परिवार और समाज सशक्त हो सके। हमारी प्रतिभाओं का पलायन अन्य समाज में न हो।  सामाजिक परंपराओं और रीतिरिवाजों के अनुपालन के लिए अखिल भारतीय स्तर पर संगठन बने। समाज की विशाल सभाऐं हों जिसमें व्यक्ति से परिवार और संपूर्ण समाज के सर्वांगीण विकास पर चिंतन हो कार्ययोजना बने।  हम सब मिलकर समाज के चहुॅमुखी विकास में सहभागी हों। इसके लिए हमारे आधार हमारे गढ हरदा को सश्सक्त करना होगा। 

 अनेक शुभकामनाएं।

आपका ही - हुकुम बिल्लोरे

                    - 9753503300


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