पर्यावरण गीत - हरी-भरी धरती रहने दो

 पर्यावरण गीत - हरी-भरी धरती रहने दो 



हरी-भरी धरती रहने दो 

हरी-भरी धरती रहने दो

रहने दो

रहने दो

हरी-भरी धरती रहने दो।।


नदिया दरिया  और समन्दर 

वन उपवन है  कितने सुन्दर

न काटो पेड़

लगाओ पेड़

इन्हे  अपना जीवन जीने दो।।

हरी-भरी  धरती रहने दो

हरी-भरी  धरती रहने दो


वृक्षों से है अपना जीवन

देते फल फूल और शुद्ध पवन

ने काटो पेड़ 

लगाओ पेड़

नियति नटी को निखरने दो,

हरी-भरी  धरती  रहने दो हरी-भरी 

हरी-भरी धरती रहने दो 


खग मृग तितली  भृमर वृन्द है।

हम सब  फिरते यहां स्वछन्द है ।

न काटो पेड़

लगाओ पेड़

इनसे हम है  तुम इन्हे रहने दो

हरी-भरी धरती रहने दो 

हरी-भरी धरती रहने दो 



हरेराम  चौरे  विकट

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.