गीत - हमारे घर भी कब झुलेगा पलना
सैया सबकी गोदी में खेले ललना,
हमारे घर भी कब झुलेगा पलना ||
सूनी है गोद मेरी सुना अंगना,
हमारे घर भी कब झुलेगा पलना ||
(1)
कहकर के बांझ मुझे दुनिया दे ताने |
मेरे जिया की पीर कोई न जाने ||
रुकता नहीं है आंसुओं का ढलना |
हमारे घर भी कब झुलेगा पलना ||
(2)
मुझसे पड़ोसन रहे टेड़ी - टेड़ी |
मुझको निपूती कहे सब निगोड़ी ||
मुश्किल हुआ है तानों का सुनना |
हमारे घर भी कब झुलेगा पलना ||
(3)
कहके करमजली सासु पुकारे |
कोसे ननंदिया भी संजा सकारे ||
बिना औलाद के ये घर खुले ना |
हमारे घर भी कब झुलेगा पलना |
(4)
हमको भगवान देता ललना एक प्यारा |
कुछ भी न कह पाता जग हमको सारा ||
घर का चिराग होता मेरा ललना |
हमारे घर भी कब झुलेगा पलना ||
हरेराम चौरे "विकट"