सामूहिक उन्नति के प्रयास में सहभागी बनें!

कतिया गौरव जनवरी - फरवरी 2017

 सामूहिक उन्नति के प्रयास में सहभागी बनें!


 सम्पादकीय  

 कतिया गौरव पत्रिका के एक वर्ष पूर्ण होने पर समस्त स्वजनों सहयोगियों,सदस्यों,प्रेरकों व समाज हितचिंतकों का कोटि-कोटि आभार!

                 इस एक वर्ष की यात्रा में हमें कई उतार चढ़ाव देखने को मिले।व्यक्तिगत,पारिवारिक, कुटुम्बिक,  सामुहिक और संगठित विरोध का सामना करना पडा। जिसे हम यह समझकर सह गए कि शायद यही मानव प्रवृत्ती है। पहले लोग हंसते है,फिर विरोध करते हैं और सफल हो जाने पर ही  बेमन से स्वीकार करते है। कतिया गौरव पत्रिका के लिए पता नहीं क्यों सन् 1999 से किए जा रहे प्रयासों को स्वजनों व समाज कें कर्णाधारों का सहयोग नहीं मिल सका। अब जब पत्रिका प्रकाशित की जा रही है तो विरोध के नित नये निकृष्ट तरीके अपनाए जा रहे हैं। जिनका यहॉ उल्लेख करना हम उचित नहीं समझते। कुटिल बुद्धि के स्वजनों द्वारा सामुहिक संगठित और पुरजोर विरोध के लिए साम,दाम, दंड और भेद की नीति का हर तरह से उपयोग पत्रिका का वितरण प्रकाशन बंद कराने के लिए किया जा रहा है।

          हमने पाया कि यह विरोध सिर्फ हमारा नहीं है। ये वही लोग हैं जिन्होंने श्री श्यामलाल ओनकर ( अब स्वर्गीय) द्वारा 1991 में ‘‘कतिया दर्पण’’,श्री मनुभाव कतिया का 1995 में ‘‘कतिया प्रचार’’, 1998 में श्रीमति लता देवी राजेन्द्र बनारसे,विजय चार्वे (जिसमें मैं प्रबंध सम्पादक रहा) ‘‘कतिया मित्र वार्ता’’ का, कतिया समाज भोपाल की पत्रिका ‘‘परिचय’’ व कतिया समाज नेपानगर की ‘‘कतिया किरण’’ का भी इसी तरह विरोध किया था। समाज के ही कुछ विघ्नसंतोषी निकृष्ठ मानसिकता के लोग पत्रिका को न करेंगें न करने देंगें की तर्ज पर व्यक्तिगत,निजी धन्दा,कमाई का जरिया बताकर खूब विरोध करते रहे है।

           श्री सी.बी. काब्जा (अब स्वर्गीय) ने ‘‘अनुभव और विचार’’,श्री टी. आर.चोलकर ने ‘‘जाने पहचाने लोग’’,श्री टी.एल.बिलौरे ने ‘‘मेरे विचार आपके द्वार’’श्री सूरज सिंह मौर्य ने ‘‘बिखरे मोती’’ पत्रिका के स्वरूप में अपने विचार समाज तक प्रेषित किए। उपरोक्त महानुभावों के अलावा भी समाज में कई विचारकों ने सामाजिक संगठन को मजबूत कर इतिहास लेखन को प्रोत्साहित करने का महान कार्य किया। समाज में साहित्य के विरोधीयों की संख्या अधिक होने के कारण श्री गुलकेश उमरिया ने मासिक पत्रिका ‘‘कतिया भूमिका’’ के प्रकाशन का विचार ही त्याग दिया। इन दूरदर्शी लोगें ने दुखी होकर कतिया समाज से परे समस्त मानव समाज को अपनी कर्मभूमि बनाकर,आज अपना जीवन अपने परिवार व राष्ट्र को समर्पित कर चहुमुखी उन्नति करते हुए,अपना व परिवार का नाम रौशन कर रहे है।

                       कतिया गौरव के प्रकाशन में भी अब तक कई तरह की परेशानियॉ पैदा की जा रही है। जो लोग सहयोगी है उन्हें भी काम करने से रोका जा रहा है या उन्हें विरोधी बना दिया गया है। जिन्हें समाज का वरिष्ठ सम्माननीय मानकर पत्रिका बॉटने के लिए पहुंचाई गई,उन्होंने बाटना तो दूर किसी को बताया तक नहीं कि पत्रिकाएँ आई हैं। कुछ लोगों ने ससम्मान यह कह कर पत्रिकाएं वापस कर दी कि पुस्तकें न भेजें। कुछ लोगों ने वापस कर दी कि कोई नहीं खरीदना चाहता। तो कुछ लोगों ने पुस्तकें भेजने के लिए फोन पर मना कर दिया कि अब आप पत्रिकाएं न भेजें। आज भी लोगों के यहॉ पत्रिकाएँ रखी है जिन्हे न तो उन्होने वापस किया और ना ही लोगों को पढने के लिए दिया। 

          इन सब खट्टे मीठे अनुभवों के साथ पत्रिका का यह जनवरी-फरवरी अंक आपके समक्ष है। पत्रिका को यहाँ तक पहुंचाने में कई महापुरुषों का प्रत्यक्ष व परोक्ष अमूल्य योगदान रहा है। सिर्फ कुछ लोगों के नाम देना उचित न होगा। इन महानुभावों की सूची लम्बी है। उनकी प्रेरणा,प्रोत्साहन,सहयोग व सम्बल हमारे लिए अविस्मरणीय है।

          हमारा सिर्फ इतना ही ध्येय है कि समाज के समस्त हित चिंतक महापुरुषों के नाम कतिया समाज के इतिहास में सदैव प्रेरणा व मार्गदर्शन के लिए याद किए जाते रहें। समाज के शुभचिंतको के विचार,श्रेष्ठ कार्याे, सकारात्मक प्रयासों को,समाज की आवश्यक सूचनाएं,जानकारी और अपनों के लिए उत्साह-उमंग का माध्यम कतिया गौरव बन सके। तब हमारा प्रयास सार्थक होगा। 

             समस्त योजानाओं के क्रियान्वयन में प्रशिक्षित अनुभवी,सहयोगी कार्यकर्ताओं की आवश्यक्ता होगी। प्रत्येक को प्रेरणा,जरूरतमंद को सहयोग,सही समय पर मार्गदर्शन, सकारात्मकता को प्रोत्साहन और इतिहास श्रृजन का महत्वपूर्ण कार्य किया जाना है। इस कार्य के लिए समाज का प्रशिक्षण माड्यूल तैयार किया जा रहा है। समाज के सर्वांगीण विकास के लिए कुछ महत्वपूर्ण प्रयास किये जाना है। आप सब के सहयोग से समाज चहुंमुखी प्रगति की ओर अग्रसर हो प्रदेश व देश के अग्रणि कर्णाधारों में कतिया समाज का प्रमुख योगदान हो। इस हेतू हम इस सामूहिक प्रयास में सहभागी बनें। 

   इति शुभ!!

 आपका ही- अनिल भवरे

 सम्पदक मो.-9009035147



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