अगस्त- सितम्बर 2017 अंक वीरआखाजी का संदेश घर घर पहुंचाने का लिया संकल्प

 वीरआखाजी का संदेश घर घर पहुंचाने का लिया संकल्प

प्रतिवर्ष अक्षय तृतीया पर आखा जी जयंती मनाने का लिया संकल्प

 समाज सेवकों  का हुआ सम्मान -  अगस्त- सितम्बर 2017 अंक


हरदा। कतिया समाज ने अपने आराध्य वीर आखाजी की जयंती का पहला आयोजन समाज के पंढरीनाथ मंदिर में रखा गया। आयोजन में उपस्थित स्वजनों ने समाज के गौरवशाली इतिहास व वीर आखा जी के संदेशों को घर घर पहुंचाने का सामूहिक संकल्प लिया। समाज की प्रतिभाओं का अतिथियों ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मान किया। समाज में महिलाओं ने सक्रीय सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने के लिए अलग महिला विंग बनाने का निर्णय लिया। आयोजन के सूत्रधार, कतिया महोत्सव के प्रणेता अनिल भवरे ने जल्द ही समाज के विशेष क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों का सम्मान करने के लिए  विभिन्न 51 पुरस्कारों की घोषणा की बात कही। अतिथियों ने कतिया गौरव पत्रिका और जलोदा के राम मंदिर पर केंद्रित वार्षिक कैलेंडर का विमोचन किया।   कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आर के दमाड़े ;भुसावल ने कहा- यह हमारे लिए गौरव की बात है कि हरदा में प्रथम बार समाज के वीर महापुरूष आखा जी की जयंति मनाई जा रही है। यह आयोजन समाज को प्रदेश व देश में अपनी अलग व वास्तविक पहचान दिलाने के लिए सदैव याद किया जाता रहेगा। समाज को तेजी से विकास की राह पर ले जाने के लिए उन्होंने युवाओं से आगे आने की बात कही।

      अध्यक्षता कर रहे हरदा समाज के पूर्व अध्यक्ष रामकृष्ण लोमारे ने कहा कि- कतिया समाज के ऊर्जावान नवयुवकों को आखा जी को आदर्श मान आगे आकर नेतृत्व करना चाहिए। वरिष्ठ जनों को चाहिए की वे अपने अनुभव से इन युवाओं का मार्गदर्शन करें। युवा ही किसी भी समाज की दिशा व दशा दोनों को बदल सकते हैं। समाज के ऐसे ऊर्जावान हाथों को नेतृत्व देने की जरुरत है। 

 समाज के भाट नर्मदा प्रसाद सिसोदिया ने पोथी में लिखे इतिहास अनुसार वीर आखाजी की नेत्त्व क्षमता,युद्धकौशल,वीरता और संगठन क्षमता का विस्तार से गुणगान किया। उन्होंने सम्वत् 1170 से 1250 की घटनाओं का भी प्रमुखता से उल्लेख किया। 1250 में चंदेरी से 750 बैलगाडीयों के काफिले के सेनानायक वीर आखा जी ही थे।  

वरिष्ठ पत्रकर महेश भवरे ने कहा, बुजुर्गों के पास व्यवहारिक जीवन का संचित अनुभव है,जिसका लाभ लेकर युवा समाज को आगे ले जा सकते हैं।

            संयोजक सुनील चौरे ने कहा, हमें अपने विचार व सोच बदलने की जरुरत है, हम यह देखें हमने समाज को क्या दिया, यह न सोचें कि समाज ने हमें क्या दिया। कार्यक्रम समाज के प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रेरणा परस्पर सहयोग व आगे बढने के लिए उर्जा प्रदान करते है। इसलिए समाजिक एकता में निरंतर स्फूर्ती का संचार करने के लिए कार्यक्रम आयोजित होते रहना चाहिए। इसी कृम में कतिया गौरव परिवार द्वारा समाज को सॉस्कृतिक स्वरूप को सहेने में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाने वाले इतिहास पुरूष भाना जी की जयंति भी मनाएगा। 

पूर्व अध्यक्ष हरदा मोहन लखोरे ने हरदा कतिया समाज को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से समाज का अधिवेशन बुलाने की बात कही,जिससे समाज के विकास की आगामी रुपरेखा तय हो सके। दादा महेश चौरे ने समाज विकास के लिए आपसी मतभेद खत्म करने और मिलकर तरक्की कर समाज को हर दृष्टि से सबल और समर्थ बनाने पर जोर दिया। 

      कार्यकृम के सूत्रधार कतिया महोत्सव के प्रणेता अनिल भवरे ने अपने उद्बोधन में कहा- वीर आखा जी समाज के पितामह है। उन्हें साक्षी मानकर कर हम उनके पदचिन्हों पर चलने का संकल्प लें। पुनः समाज का  प्रयास  स्वजनों कतिया समाज का भी अपना परिस्थितिजन्य, संकटग्रस्त , संघर्षमय ही सही पर प्रेरणाप्रद और गौरवशाली इतिहास रहा  है !   

इतिहास साक्षी है कि हमारा समाज स्वजातीय एकता व अखंडता के लिए सदैव अग्रसर रहा है । सन् 1914 व 1921 में किए सम्मेलन इस बात का आधार है।परंतु इस हेतु किए गए प्रयासों में आई निरंतर कमी विघ्नसंतोषी, स्वार्थी, सत्तालोलुप लोगों की सक्रियता व श्रेष्ठ समाजसेवी हितचिंतकों की निष्क्रियता ने समाज को कई टुकड़ों में विभक्त कर दिया है ! 

           उन्होंने आगे कहा कि आज की आवश्यक्ता है छद्मवेशधारी,मंच माला और माईक के लिए समाज को गुमराह करने वाले दोहरे  .. चरित्रवाले लोगों कोे समाज के मंच से खदेड़ कर समाजहित सतत् संघर्ष करने वाले उपेक्षित नींव के पत्थरों को सहेजने,संवारने,सम्मानित करने की। समाज के प्रति उनके त्याग समर्पण और भावनाओं को अत्मसात कर उनके सपनों को साकार करने की। हम कतिया गौरव परिवार की ओर से विस्वास दिलाते है कि हमारे अपने वरिष्ठजनों के मार्गदर्शन में समाज के सर्वांगीण विकास में अग्रणि भूमिका का निर्वाहन करेंगें। 

               समाज के युवा नेता हुकुम बिल्लोरे ने कहा कि जिस समाज का इतिहास नहीं होता, उसका विकास नहीं होता ! यह सत्य की प्रत्येक व्यक्ति परिवार व समाज का अपना इतिहास होता है समृद्धशाली लोग देश समाज एवं संगठन अपनी भावी पीढ़ी के लिए श्रेष्ठ अभिनंदनीय, अनुकरणीय कार्य का इतिहास सृजन स्वयं करते हैं ! समाज में भाट परंपरा व  पत्र पत्रिकाओं आदि के अनुसार भी इतिहास संजोने का काम किया जाता है।

 समाज सेवकों  का हुआ सम्मान -
      इस अवसर पर कतिया गौरव पत्रिका के नवीन अंक और श्री रामजानकी मंदिर जलोदा के वार्षिक कैलेंडर का अतिथियों ने विमोचन किया। सभी का साफा बांधकर स्वागत किया गया। उपस्थित अतिथियों को आखाजी का चित्र देकर सम्मानित किया गया। 

            इस दौरान सर्वश्री सुभाष नागराज इटारसी,भोपाल से गोविंद दमाडे़ ,अनिल चौरे,मनोज नागले,टी एल हुरमाले,दशरथ ओनकर,आर बी सरवर,बीएस सेजकर,अकलेश बिल्लोरे,अर्जुन हुरमाले, अभिजीत लोचकर, अशोक सातनकर, डॉ.दीपक ढोके, विनोद नागले,जी.एस. मंडलेकर,नेमीचंद दमाडे़,प्रेम पाटनकर,विजेन्द्र दमाडे़,मनोज नागले (भोपाल) मुंबई से श्रवण कुमार चोलीकर,महेश चौरे,विजेन्द्र दमाडे़,अनिल सेजकर ,अशोक सातनकर ,योगेश बिल्लोरे अविनाश ओनकर, प्रेम पाटनकर का माल्यार्पण कर सम्मान किया गया ! इस कार्यक्रम में सभी सामाजिक बंधु उपस्थित थे ! आभार युवानेता महेश पटेल ने व्यक्त किया।   




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