संघर्ष से शिखर पर चुनौतियों और संघर्ष के 39 वर्ष जुलाई-अगस्त 2016 अंक

 संघर्ष से शिखर पर

  चुनौतियों और संघर्ष के 39 वर्ष 

भागीरथ गुजरभोज

शिक्षा - बी.ए. प्रथम वर्ष

व्यवसाय - सेवा निवृत्त सहायक कार्यालय अधीक्षक

मोबाईल नं. 9977699153


चुनौतियों और संघर्ष के 39 वर्ष -

            प्रत्युत्पन्न मति सरस्वती का विशेष उपहार है मनुष्यों के लिए। ऐसा विशेष उपहार प्राप्त एवं उच्च आत्मबल के धनी श्री भागीरथ जी गुजरभोज पिता स्व. श्री दशरथ जी गुजरभोज का जन्म 23 मार्च 1955 दिन बुधवार चैत्र शुदी नवमी (रामनवमी) दोपहर गउठान उल्लते समय (लगभग ढाई से तीन बजे के बीच) आपके ननिहाल ग्राम गुल्लास तह. टिमरजी में बैद्यराज स्व. श्री दयाराम जी बडनेरे (घाटे) के यहॉं हुआ था। आपके पिता ग्राम हीरापुर तह.हरदा में बटाई पर खेती करते थे एक दिन आप अपनी माता श्रीमति सरजूबाई के साथ खेत मालिक पंडित जी के घर गये उस समय पंडिताईन जी ने एक रोटी पर बेसन की सब्जी रखकर उपर से आंचल में डाली यह वाक्या देख आप बडे विचार मे पड गये। मॉं ने कहा बेटा रोटी खा लो तो आपने कहा मुझे भुख नहीं है। आपने छुआ छुत की भावना को देखते हुए खाना नहीं खाया।

     सन् 1962 में हरसूद परिवार सहित कच्चे मकान में रहते थे। पिता रेल्वे में मजदूरी करने लगे। सन 1962 से 1971 तक आपकी शिक्षा पहली से 10वीं कक्षा तक लगातार हुई। जब आप 9 वर्ष के थे तब हरसूद से ग्राम हिरापुर पश्चात वहा से ग्राम गुल्लास के लिये पेदल रवाना हुए। ग्राम आदमपुर में पहुचे प्याउ पर लोटा मांगा न देने पर आपने वहा पानी नहीं पिया और ननिहाल पहुंच कर ही पानी पिया।

                वर्ष 1966 की बात है जब आप 11 वर्ष के थे तब आपकी दादी श्रीमती रामप्यारी बाई पति स्व.चुन्नीलाल जी गुजरभोज हरसुद मे काफी बीमार हो गई थी।वृद्धाव्यथा के कारण कमजोरी  आ गयी थी। एक दिन अचानक लड्डू खाने की इच्छा जाहीर कि मॉं खाना नहीं बनाती थी अतः बोली भैया पैसा ले जा और दादी के लिये लड्डू लेआ दादी ने कहा बाजार के लड्डू नहीं खाउगी अब मॉं पसोपेश में पड गई मैं खाना नहीं बना सकती और मॉं बाजार के लड्डू खाना नहीं चाहती ऐसी उहापोह की स्थिती में मॉं रूआसी हो गयी तो आपके द्वारा मॉं से कहा कि घबरामत मैं लड्डू बनाउगा मॉं ने कहा तू कैसे बनाएगा तो आपने कहा जब तू लड्डू बनाती थी तो मे ध्यान से देखता था पहले तू फीके बेसन का घोल भजिये बनाने के लिए फिर कढ़ाही में घी (वनस्पति) डालकर भजिऐ तला करती थी पश्चात् हिसाब से शक्कर की चाश्नी तैयार करती थी चाश्नी तैयार हो तब तक भजियो को तोडकर बूदी बराबर कर चाशनी में डालकर लड्डू बनाती थी विवरण देने पर मॉं बहुत प्रसन्न हुई एवं लड्डू बनाने की अनुमति दी व उपरोक्ता अनुसार आपने लड्डू तैयार कर दादी को प्लेट में दिये दादी ने मात्र एक लड्डू में से कुक्ष अंश मुह में डाले और कहा अब जरूरत नहीं है। मेरी आत्मा तृप्त हो गई है तत्पश्चात् उनका आशिर्वाद देने का जो सिलसिला शुरू हुआ जो करीब 5 मिनट तक चला। मुझे आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि मेरी 11 वर्ष की उम्र से वर्तमान वय तक तथा 39 वर्ष 6 माह की नौकरी में जो भी विघन बाधाएॅं आयी है उनको निष्प्रभावी करने में दादीजी के आर्शिवाद है।

    आठवी में अध्ययन करते समय रामनवमी पर ग्राम मांदला में भीमपुरा के श्री पूरणलाल कुल्हारे एवं ग्राम मांदला के मोतीराम जी नागले की सुपुत्री के साथ गुरूनाम लिया। कक्षा 10वीं में अध्ययन के समय गुरूभाई झगडा सहपाठी से होने से आपके द्वारा समझाईश देने पर वह इनके साथ भी हाथापाई पर उतर आया न चाहते हुए भी अततः आत्मरक्षा के बचाव किया शिकायत कक्षा शिक्षक के पास पहुचने पर आपकेा कक्षा 10वीं में फेल करने की धमकी देने से स्कूल जाना बंद कर दिया। पश्चात् लोक निर्माण विभाग (च्ण्ॅण्क्ण्), रेल्वे, दूरसंचार विभाग (टेलीफोन) तथा राजस्व (भू-बंदोबस्त) में मजदूरी कार्य किया। वर्ष 1974 में आपका विवाह ग्राम हिवाला (मूल निवासी ग्राम गोयल) के श्री बृजलाल जी मालवीय की सुपुत्री सुगनादेवी के साथ संपन्न हुआ।

    19 अक्टूबर 1975 को आपकी नौकरी 7वीं बटालियन वि.स.बल (ैण्।ण्थ्ण्) भोपाल में आरक्षक के पद पर लगी यही से आपका भाग्योदय होकर प्रतिष्ठा प्राप्त होना शुरू हुई। नौकरी प्रशिक्षण जबलपुर से प्राप्त कर वापस आने पर आपका अटेचमेंट (संबंद्धता) पुलिस मुख्यालय में पुलिस महानिरीक्षक वि.स.बल कार्यालय में हुआ। प्रसंगवश (जिसका खुलासा प्रथक से किया जावेगा) हायर सेकेन्डरी परीक्षा स्वाध्याय के माध्यम से सेकड डिवीजन वर्ष 1979 में उत्तीर्ण की गई तथा टायपिंग परीक्षा भी आपके द्वारा प्रथम बार में उत्तीर्ण की। आपके द्वारा विभागीय परीक्षा पास कर सहायक उप निरीक्षक (एम) (स्ण्क्ण्ब्ण्) के पद पर चयनित हुए  पश्चात् पदस्थापना जिला खंडवा की विशेष शाखा (राजनीति गतिविधि)में होने से 15.05.1981 से      सपरिवार खण्वा आ गया। आपके दो पुत्र चिंरजीव जयप्रकाश तथा डॉ. रामप्रकाश (बी.ए.एम.एस) तथा पुत्रियॉं सुषमा तथा दीपा है। चारो अपने अपने वर्तमान जीवन से सुखी है।

खण्डवा में सामाजिक व्यक्तियों द्वारा भजन मंडल चलाया जा रहा था जिसमें अधिकाश प्रभाव पाटाखाली के सांगुले परिवारों का पश्चात् अन्य परिवारो का था। ग्रामीण समाज की वृत्तियों को देखते हुए लगभग 6 वर्षो तक समाज के कार्यक्रमो में सम्मिलित नहीं हुए किन्तु वर्ष 1988 में रामसत्ता के आयोजन मे भाग लिया व सामाज के व्यक्तियों की जागरूकता को देखते हुए आपने निर्णय लिया कि इनके साथ बुद्धिजीवी व्यक्तियों को भी जुडना चाहिये इसी तारतम्य में आप भजन मडल से जुड गये। समाज को और अधिक संगठित करने की भावना से कुछ-कुछ भजन गाने लगे तत्पश्चात भजन बनाकर भी गाने लगे। खण्डवा में समाज की सेवा समिति का प्रथम गठन भी आपके व श्री भानुप्रकाश जी सेजेकर (तत्कालीन निवास हरदा) के विचार विमर्श उपरांत समाज की एक मीटिंग ली गई जिसमें कतिया समाज सेवा समिति का गठन किया गया जिसमे आपको संरक्षक के पद पर मनोनीत किया गया वर्ष 1996 में आप अध्यक्ष पद पर भी सुशोभित हुए। आपकी उपनिरीक्षक (एम) (न्ण्क्ण्ब्ण्) के पद पर पदोन्नति 26वीं बटालियन वि.स.बल गुना होने से संशोधन करवाया (क्योकि पिताजी काफी वृद्धावस्था को प्राप्त हो चुके थे) पदस्थापना पुलिस ट्रेनिंग स्कूल इन्दौर में होने से सपरीवार 4 जून 1998 को इन्दौर आ गये। आगामी पदोन्नति सूबेदार (एम) (मुख्यलिपिक) पद पर पुलिस अधीक्षक कार्यालय खरगोन हुई जहॉं आप अकेले गये परीवार का तब से पूरी तरह इन्दौर मूसाखेडी में स्थायी निवास बना।

 22 माह पश्चात् 15वीं बटालियन वि.स.बल इन्दौर में स्थानांतर करवाया किन्तु 14 माह बीतने के पश्चात् ही समपद के कर्मी द्वारा जो शिवपुरी में पदस्थ थे शाजापुर में परिवार निवासरत था एक पुत्र का इंजीनियरिंग इन्दौर में प्रवेश मिलने से सहयोग मांगा जाने से परोपकार स्वरूप आप 15वीं बटालियन से खंडवा स्थानांतर पर चले गये जहॉं लगभग 4 वर्ष 6 माह कार्यरत रहे। पूरे सेवाकाल 39 वर्ष 6 माह में आपको लगभग दो सौ से ज्यादा इनाम स्वरूप प्रशंसा तथा नगद राशि तथा 26 जनवरी 2016 को अच्छे कार्य के लिए जिला कलेक्टर खंडवा द्वारा प्रसारित पत्र से भी सम्मानित किया गया। आपकी अगली पदोन्नति सहायक कार्यालय अधीक्षक (।ण्व्ण्ैण्) पद पर पुलिस मुख्यालय भोपाल में होने से आप फरवरी 2016 से उक्त पर सुशोभित होकर 31.03.2016 को ससम्मान सेवा निवृत हुए है।

इन 39 वर्ष 6 माह की चुनौती पूर्ण अवधि में कई कठिनाईयॉं रोचकतथ्य, ज्ञानार्जन व भविष्यवाणी होने संबंधी संस्मण आपके द्वारा उपलब्ध कराये गये है जिनका विस्तृत विवरण प्रथक से प्रकाशित किया जाऐगा।

 भागीरथ गुजरभोज

शिक्षा - बी.ए. प्रथम वर्ष

व्यवसाय - सेवा निवृत्त सहायक कार्यालय अधीक्षक (।ण्व्ण्ैण्) पुलिस मुख्यालय भोपाल।

पता- 60/2 साटमपार्क कालोनी रिंगरोड चौराहा के पास मूसाखेडी इन्दौर म.प्र.

मोबाईल नं. 9977699153

                 ( श्री भागीरथ जी गुजरभोज से परिचर्चा पर आधारित संस्मरण! -सम्पादक)

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