जाति के प्रति कर्तव्य बोध:-- "कविता"

                 ●●प्रांतीय कतिया विकास महासभा(म.प्र.)●●

जाति के प्रति कर्तव्य बोध
आओ कुछ कर नया दिखायें,
        कठिन जिंदगी सरल बनायें।
जिन राहों पर वे(पूर्वज)चले थे,
कहीं उन्हें हम भूल ना जायें।।
                     आओ कुछ....
जन्म दिया उस माँ का ऋण है,
पाँव रखा उस धरा का ऋण है।
जन्म लिया उस कौम का ऋण है।
इन माँताओं को भूल ना जायें।।
           आओकुछ कर.....
हो सपूत तुम इन माँओं के,
जिनने तुमको जगत दिखाया।
        गिरे उठे कई बार शुरू में,
फिर सरपट दौड़े जीवन में,
     माँ ही ने सब हुनर सिखाये।।
                आओ कुछ कर....
  शदियों शोषण हुआ हमारा,
     था बिखरा समाज हमारा।
देर हुई पर अब ना होगी,
प्रांत एकता करनी होगी,
आओ आपस के भेद मिटाये।।
           आओ कुछ कर....
गया तम अब बीते वर्ष का,
नया सूर्य है नये वर्ष का।
नव तरूनाई वक्त हर्ष का,
 गगन धरा का फर्क भले हो।
     हम समता के दीप जलायें।।
              आओ कुछ कर..
प्रांत एकता का है नारा,
युवा शक्ति पर ध्यान हमारा।
बालक कन्या में भेद येकैसा?
   मातृ शक्ति को शीश नवायें।।
              आओ कुछ कर...
          - ज.के.चोलकर

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