संस्कारों केन्द्रों से होगी सुसंस्कारों की स्थापना

वसंत-उत्सव 2018

 साँस्कृतिक विरासत के पुरोधा महापुरुष वीर भानाजी जन्मोत्सव

 संस्कारों केन्द्रों से होगी सुसंस्कारों की स्थापना- भवरे 

बसंत पंचमी आदर्श संस्कृति संवर्धन पर्व के रूप में मनाया जाएगा वीर भानाजी जन्मोत्सव 

हरदा- किसी भी समाज की गौरवशाली परंपराओं का अमिट इतिहास उस समाज के त्यागी तपस्वी गुरुजनों, दूरदर्शी विद्वानों,निडर साहसी वीरों,दानवीरों,कर्मवीरों और धर्म के ज्ञाताओं से बनता और संवरता है। हमारी सभ्यता और पुरातन संस्कृति के संरक्षक,वीर पुरुषों,पथ प्रदर्शकों की तेजस्वी ओजस्वी प्रेरक गाथाओं,उनकी कहानीयों,स्मृति ग्रंथों,वीर गाथाओं,किस्से कहानीयों किवदंतियों आदि से सीखकर ही आज हम सब स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते है। वीरभाना जी जिनहोंने अपनी कर्मभूमि मात्रभूमि छोडना पडा पर धर्म को नहीं छोडा। आज उन्हीं के कारण हम मानव धर्मावावलम्बी प्रकृति पूजक सनातनी हिन्दु धर्म संस्कृति के उपासक है। हमें अपने पूर्वजों पर गर्व है।

            उक्त विचार राष्ट्रीय कतिया गौरव परिवार हरदा के व्दारा बसंत पंचमी के पावन अवसर पर श्री यादव छात्रावास में कतिया समाज के सांस्कृतिक विरासत के पुरोधा महापुरूष वीरभानाजी के जन्मोत्वस पर व्यक्त किए। आगे उन्होने कहा कि हमारे पूर्वजों ने सांस्कृतिक पतन के बुरे समय में भी सभ्यता और संस्कारों को प्राणों से अधिक महत्व दिया। प्रासंगिक हैं कतिया समाज में नैतिक और सांस्कृतिक पतन रूपी घुन लग चुका है। हमारे पढ़े लिखो नौजवान और नवयुवतियाँ विधर्मीयों की ओर आकर्षित है। कुछ परिवारों के बच्चों ने अपनी आदर्श संस्कृति को त्याग कर भोगवादी.पाश्चात् कूसंस्कारों और कट्टरपंथियों का दामन थाम लिया है। परिवार रूपी मजबूत श्रंखाला टूटने को है। आज समाज के कुछ परिवार नैतिक और सॉस्कृतिक पतन की ओर अग्रसर है। आज हम वीर भाना जी के जन्मोत्सव को एक अवसर के रूप में देखते है। आज हमें पुनः विचारकर कर स्वयं,परिवार व समाज को सॉस्कृतिक पतन से बचाने के लिए कृतसंकल्पित होने का अवसर है। आज का दिन समाज में सुसंस्कृति संवर्धन व संस्कार पर्व के रूप में मनाया जाना चाहिए। समाज में संस्कार केन्द्र स्थपित कर परिवारों में सुसंस्कारों की स्थपाना की जा सकती है।

 कार्यक्रम में उपस्थित श्री सुनील चौरे के ने वीर महापुरुष भानाजी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि- गौतम ऋषि के दर्शन शास्त्र के 03 प्रमाणिक विधि मान्य है। उनके अनुसार प्रत्यक्ष प्रमाण, अनुमान प्रमाण एवं आदम (शब्द) प्रमाण के माध्यम से वीर भानाजी के कला-कौशल और उनके समाज के प्रति जीवटता पर प्रकाश डाला। समाज की पारम्परिक सॉस्कृतिक धरोहर को बचाए रखने के लिए वीर भानाजी आज भी समाज में प्रासंगिक हैं। वीर भानाजी कतिया समाज का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रत्येक सामाजिक व्यक्तियों में आज भी जीवित हैं।

            श्री ठाकुरलाल हूरमाले ने भानाजी की बौद्धिक कुशलता व दूरदृष्टि पर प्रकाश डाला कि मुगल शासक काल में अनेक जातियाँ धर्म बदलकर मुस्लिम बनने को विवश हुई। कतिया समाज ने मुगल शासन काल में भी पराधीनता व धर्म परिवर्तन का पुरजोर विरोध कर वीरता एवं सच्चे समाज सेवक होने का परिचय दिया है। जिसकी प्रासंगिकता आज भी है। कार्यकृम के अध्यक्षा श्री रामलालजी बडनेरे ने ओजस्वी कविता के माध्यम से वीर भानाजी के जीवन पर प्रकाश डाला। श्रीराम जानकी मंदिर समिति सचिव श्री छगनलाल बडनेरे ने कहा कि समाज के लोगों को वीरभानाजी के विचारों को आत्मसात करें और सामुहिक रूप से समाज के सर्वागीण विकास में सहभागी बनें। कार्यकम प्रभरी श्री हकम बिल्लोरे ने इस अवसर पर कहा कि जल्द ही कतिया गौरव परिवार हमारे आराध्यों की प्रतिमा व केलेन्डर प्रत्येक कतिया बंधुओं के घर पहचाने के प्रयासरत है। जिससे हम अपनी आने वाली पीढी को समाज के इतिहास महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा दे सकें। कार्यकृम को दादा सर्वश्री महेश चौरे,भारत सिंह सेजकर,रामोतार चौरे,रामबकस सरवरे,मुकेश मंडलेकर,नर्मदा प्रसाद पाटनकर,श्रीमती सेवंती ओनकर,श्रीमती सुष्मा बिल्लारे,श्रीमती सुनीता चौरे,श्रीमती शशिदमाड़े आदि ने संबोधित किया। 

कतिया गौरव परिवार की ओर से अनिल भवरे कहा कि प्रत्येक ग्राम व शहर के वार्ड में संस्कार केन्दों की खोलना है जिससे हम अपने बच्चों को कूसंस्कृतिक दुशपरिणामों से संरक्षित कर सकें। समाज के इच्छुक लोग स्थान देने व संस्कार केन्द्र संचालक के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करने हेत सम्पर्क कर सकते है। कतिया समाज के महापुरुष वीरभानाजी का जन्मोत्वस के उपलक्ष्य में नई चाह-नई राह महिला संगठन के व्दारा रंगोली सजाकर भानाजी का जन्मोत्वस मनाया गया। वही समाज के प्रत्येक घरों में पॉच दिन तक रंगोली बनाने व दीपक जलाने का आहवान किया गया। इस आह्वान से प्रेरित हरदा तथा आसपास के एक दर्जन से अधिक गॉवों के साथ पीथमपुर.मण्डीदीप रायसेन सहित कई स्थानों के स्वजनों द्वारा अपने घरों पर बंदनद्वार लगाने,रंगोली सजाने और दीपक जलाने के साथ ही एक दूसरे को बधाई देने का संदेश प्राप्त हुआ। सोशल मीडिया पर भोपाल से श्री मनोज नागले व श्री बालकिशन नागरे ने समाज के प्रत्येक घरों में पाँच दिन तक रंगोली बनाने व दीपक जलाने का आह्वान किया। जिसपर समाज के अधिकाँश बंधुओं ने अक्षरशरू पालन कर सोशल मीडिया पर फोटो डालकर प्रेरक का कार्य किया।


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