लड़का लड़की में भेद भाव क्यों?

 

लड़का लड़की में भेद भाव क्यों? 

                    हमारे भारतीय समाज में आज भी लड़के और लड़की में भेद भाव कया जाता है आखिर क्यों ? क्यों लड़का ही वंश आगे बढ़ा सकता है,क्या लड़कियां वंश नहीं बढ़ा सकती? क्यों लड़कियों को हमेशा दबाकर रखा जाता है। जबकि लडकियॉ भी वंश आगे बढ़ाने में बराबर सहयोग करने के ही साथ ही खुद का परिवार का समाज नाम रोशन कर सकती कर रही है,यह बार बार सिद्ध भी कर चुकी हैैं। लड़कियों से कहा जाता है कि तुम लड़कों की बराबरी से काम नहीं कर सकती। क्यों लड़कों को ही पढ़ने लिखने,खेलने, देश-विदेश जाने की अनुमति दी जाती है। ताकि वो पढ़लिखकर आगे बढें। बडी नौकरी लगंे अपने पैरों पर खड़े हां।

                                             क्यों न लड़कियों को भी पढ़ा लिखाकर आगे बढ़ने दिया जाए अपने पैरों पर खड़ा होने दिया जाए। लड़की को भी उतनी ही आजादी मिलनी चाहिए जितनी एक लड़के को मिलती है। आज लड़कियां लड़कों से आगे है, आज लड़की क्रिकेट, फुटवाल, कबड्डी, कराटे इत्यादि खेलों में लडकों से भी अग्रणी हैं। गांव में आज भी लडकियों को कम पढ़ाया जाता है, विवाह भी कम उम्र में कर दिया आता है। आज की स्थिति में शासन की सख्ती होने के कारण विवाह में 18 वर्ष की उम्र होने का इन्तजार किया जाता है। जबकि लडकियों को भी उचित शिक्षा अर्थात अधिक पढ़ाया जाना चाहिए। जिससे वह आत्मनिर्भर हो सकें।                                                         परिवार में पुत्र का जन्म होने पर बहुत खुशी मनाई जाती है, न मिठाई बांटी जाती है। पुत्री का जन्म होने पर उतनी खुशी नहीं मनाई जाती। आज भी जन्म से पहले ही लड़की को कोख में ही मरवा दिया जाता है। क्या लड़की को जीने का हक नहीं? इसी तरह चलता रहा तो अपने बेटे के लिए बहु कहां से लाओगे। अभी हाल में अखबार में पढ़ा था हरियाणा के एक परिवार में बंगाली बहु लाई गई। इसलिए लड़कियों को भी समान अधिकार मिलना चाहिए। हमारे समाज में लड़के लड़की को अलग-अलग सीख दी जाती है। लड़कों को महंगे-महंगे कपड़े खिलौने लाकर दिए आते हैं। क्यों उन्हें ज्यादा पॉकेट मनी दी जाती हैं। लडकियों को क्यों घर के बढों पर निर्भर रहना पड़ता है। क्यों लड़कियों को जो दे दिया जाता है उसी में खुश रहनें की शिक्षा दी जाती हैं। क्यों लड़कियों को चुल्हा चक्की और घर में ही रहने को कहा जाता है।

                                                                 आज भी लड़कियों को दबाया जाता है उन्हें अपनी बात रखने का मौका नहीं मिलता। उसेे सही होने के वजूदचुप रहने का फरमान जारी किया जाता है। लड़कियों को माता-पिता की लाड़ली होने का गौरव प्राप्त है। पत्री को लक्ष्मी का रूप माना जाता है,अपने घर आंगन की खुशियां होती है तो फिर लडकी को क्यों परायाधन कहा जाता है?



                            श्रीमती मनीषा अनिल चौरे भोपाल 

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