कविता- अब तरुनाई जाग गई है

 प्रांतीय कतिया विकास महासभा के चुनाव के अवसर पर

                              ◆ कविता◆ 

- जे.के.चोलकर  ईटारसी

अब तरुनाई जाग गई है

अब तरुनाई जाग गई है,प्रांत एकता लाने को।

नहीं डिगेंगे पांव हमारे,मंजिल अपनी पाने को।।अब तरुनाई....

कतिया बंधु उठो,चलो मतदान करो।

पुष्प एकता के अंजुलीभर,भेंट करो माँ रेवा को।। अब तरुनाई....

उन विरों को याद करो,जो सिंह नाद कर कहते थे।

बिना संगठन कुछ ना होगा,शासन सत्ता झुकाने को।। अब तरुनाई..

फिर गूँजा है नारा, हम सबने ये माना है।

उठो कतिया चलो हंडिया,प्रांत सभा बनाने को।। अब तरुनाई..

किसान चलो, मजदूर चलो,चलो बहना माता भी।

बरसों बाद आया है मौका,कौम एकता करने को।।अब तरुनाई....

गांव चले,शहर चले,तहसील जिले सब आ जावो।

करो मतदान सबै मिल,समाज एकता लाने को।।अब तरुनाई....

सूर्य पुत्रों को बुला रही,माँ रेवा की निर्मल धारा।

कठिन डगर आसान करो,प्रांत सभा बनाने को।।अब तरुनाई....

दिन रविवार तारीख चौदह, माह फरवरी  2021का,

     बना दो आकर इतिहास,चुनो प्रांत परधान को।।अब तरुनाई....

              -  जे.के.चोलकर  ईटारसी


                                                                           


    

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