समाज की प्रगति के लिये संयुक्त नियमावली
कतिया समाज सेवा संघ हरदा ,ईटारसी होशंगाबाद,टिमरनी, सिराली , सिवनी मालवा, खिड़किया, खंडवा, भुसावल, और भोपाल कतिया जाति की प्रगति के लिए संयुक्त नियमावली।
प्रिय बंधुओं, कोई भी जाति प्रगति तभी कर सकती है, जब उसे वर्तमान युग की आर्थिक,सामाजिक,राजनैतिक,धार्मिक , शैक्षणिक,एवं सांस्कृतिक परम्परा एवं रूढियों मे क्या उचित है,क्या अनुचित है,आदि बातों का सही अनुभव एवं ज्ञान हो। कतिया जाति की प्रगति के लिये हमारे वरिष्ठ लोगों ने अनेक नियम बनाये है। जिनमे कुछ का पालन हुआ है लेकिन कुछ का पालन ना होने के कारण संख्या मे सबसे अधिक होते हुये भी मध्यप्रदेश मे सभी जातियों मे पीछे रह गई है। अतः आईये हम तन मन धन से संगठित होकर प्रण करें कि, गांव एवं शहर में साहस पूर्वक इन नियमों का पालन एवं प्रचार प्रसार करेंगे। माता बहनों, युवकों तथा वरिष्ठजनों से अनुरोध है कि, वे जाति के नियमों का दृढ़ता पूर्वक पालन करेंगे। आपके सहयोग से ही संगठन की प्रगति होगी।
शिक्षा-शिक्षा के बिना किसी भी क्षेत्र मे प्रगति नही हो सकती। अतः हमें अपनी आय को बेटे बेटियों की शिक्षा पर सामाजिक, व्यवहारिक, रोजगार संबंधी ज्ञान पर अधिक खर्च करना होगा।
धार्मिक पाखंण्ड- हमारी जाति सदियों से धार्मिक पाखंडो मे बर्बाद हो रही है। अब हमे तीर्थाे,ग्रंथो,पंडितों,मंदिर,नकली कथा,मनोरंजन से सचेत रहना है। तन मन धन शिक्षा-की प्रगति करने के बाद आत्मा परमात्मा स्वर्ग नरक भूत,भविष्य,देवी-देवता के प्रपंच को जाने,पहले रोजी रोटी आर्थिक प्रगति में विकास करें। हमारे पतन का यही कारण है।
आर्थिक प्रगति - यह युग अर्थ, विज्ञान , विचार और कर्म पर टीका है। हमे उधोग,व्यापार सर्विस में प्रगति करना है। जाति संस्था सरकार से जो मदद मिलती है,उसका लाभ उठाना है।
सामाजिक संगठन एकता सहयोग - इनके बिना हम किसी भी क्षेत्र मे आगे नही आ सकते है। अतः अपने स्वार्थ या सफलता के कारण समाज की एकता को संगठन को कभी ठेस नही पहुंचाना है। सहयोग बहुत जरूरी है।
राजनैतिक प्रगति एवं चुनाव - बिना राजनैतिक एवं चुनावी दांव पेंच,पार्टी की नीतियां एवं कार्य, को समझे बिना स्वंय के संगठन को मजबूत किये बिना हम राजनीती मे प्रगति नही कर सकते है। सांस्कृतिक सरलता एवं परिवर्तन-समय के अनुसार संसार की हर बात बासी हो जाती है। अतः हमें उन सब बुराईयों,कूरीतियों,सांस्कृतिक पाखंडो और आर्थिक विनाशकों को छोड़ना है,जिनके कारण हम गुलाम और दलित कहलाये।
विवाह की विसंगतियां - जीवन की प्रगति का यह सबसे बड़ा रहस्य है। विवाह मे आय का, फिजूल खर्च का, समय का ध्यान रखें। सामूहिक या शास्त्र विधि से विवाह करें।
विवाह व संस्कार विधि विधान- कई प्रकार की रूढ़ियां दहेज, कुंवार की पंगत, बैंड लाईटिंग आदि,सबको कपड़े बड़े-बड़े भोज आदि से बचें। बड़ी जातियों की तरह से सुबह से शाम तक विवाह पूर्ण करें। जुआं शराब नशा और असामाजिक गतिविधियों को सामूहिक कार्यक्रम में बंद करे। जन्म मान तथा तुलादान आदि संस्कारों मे शिशु या माता पिता को कपड़े करें। शेष के लिये टीका रस्म करें।
मृतक संस्कार - मृतक व्यक्ति का अग्नि संस्कार उसी गांव मे करें। तथा तीर्थ या पवित्र नदी पर जाने की प्रथा का त्याग करें। तेरहवीं या पगड़ी रस्म में शव यात्रा को सदस्यों एवं खास मित्रों एवं रिश्तेदारों को सादा भोजन करावें,ताकि टेन्ट बर्तन हलवाई,मिठाई तथा परेशानियों के खर्च से मुक्ति मिल सके। छः मासी ,बरसी रंग डालने की प्रथा जैसे संस्कारों को पत्र या फोन पर शोक संदेश पहुचाकर कार्य पूर्ण करें।
मत्यु भोज - मृत्यु भोज या घाट का भोजन कहीं भी किसी भी दशा मे ना करें। उस दिन दुखी परिवार को जाति या मित्र भोजन करावे। पवित्र नदी जाने पर भी स्वल्वपाहार या रिश्तेदारों द्वारा सादे भोजन की व्यवस्था हो।
खर्चीली परम्पराएं एवं भोज - किसी भी विवाह मृत्यु भोज या अन्स कार्यक्रम मे सम्पन्नताया नाम के लिये महाभोज एवं कई पकवान ना बनाकर सादा भोजन करावें। धन-संपत्ति को बच्चों की प्रगति पर खर्च करें।
रोजगार व्यापार एवं आय - इन बातों मे परिवार एवं जाति की प्रगति का रहस्य है। इनके सिध्दांतो व्यवहारों नियमों का अन्य बातों की अपेक्षा अति बारीकी से अध्ययन करना चाहिये।
जाति की प्रगति का रहस्य - एकता सहयोग, संगठन ,सद्भाव विचार विमर्श, आर्थिक प्रगति राजनैतिक सूझबूझ के बिना प्रगति असम्भव है। अतरू हमे संगठन बनाकर आगे बढ़ना है।
लड़कियों की शिक्षा नौकरी - यह युग लड़कियों का है। उनकी शिक्षा सर्विस में लड़कों की तरह सचेत रहना है। समाज के हर क्षेत्र मे बिना अन्याय और पक्षपात के उन्हें आगे बढ़ाना है।
फिजूलखर्च-दलित वर्ग और हमारी जाति के विनाश का मुख्य कारण फिजूल खर्च है, अब हमें जुआशराब और असामाजिक कार्याे की अपेक्षा परिवार के जरूरी कार्यों पर खर्च करना होगा।
युवकों की प्रगति - किसी भी समाज की रीढ युवक होते है। यदि उन्हे समय पर मार्गदर्शन,जीवन जीने की कला का ज्ञान ना मिले तो वे भटक जायेंगे। हमे उन्हे संगठित होकर सहयोग देते रहना है।
महिलाओं पर अत्याचार - अक्सर परिवार जाति एवं समाज मे माता बहनों पर बेटियों पर निरंतर अत्याचार पक्षपात एवं क्रूरता होती रहती है। अतः इस प्रवृत्ति से सचेत रहें,जाति को इससे बहुत हानि होगी। समिति समूह एवं आयोजन में सूचना-अक्सर जातिगत भोज विवाह या अन्य समस्याएं ऐसी होती है जो बिना उद्देश्य के समाप्त हो जाती है वहां हमें विवाहों के सर्विस के और अन्य विषयों पर अनुमति लेकर विचार विमर्श करना चाहिये।
स्वशासन - जब दो या चार व्यक्ति समूह मे होते हैं तब वह समिति हो जाती है। अतः हमें समूह के सामने ऐसा कार्य एवं व्यवहार नही करना चाहिये जिससे उनको ठेस पहुंचे और हमारी असामाजिकता जाहिर हो। हमारी बातचीत व्यवहार विचार मे तन मन धन वरिष्ठता समूह और विषय तथा अनुशासन का हमेशा ध्यान रखना चाहिये। बोलने से पहले अनुमति लेना चाहिये।
मान सम्मान - हमे माता बहनो वरिष्ठजनों को सामाज सेवकों, विद्वानों, विचारकों ,कलाकारो के लिये शुभकामना करना है उनके मान सम्मानमे सदा आगे रहना है।मित्रों उपरोक्त समस्याओं उलझनों के अतिरिक्त आज भी कतिया समाज के सामने सैकड़ों समस्याएं है। हम आजाद है। आज इनका निराकरण संभव है। यदि हम अपने स्वार्थ संपत्ति मान सम्मान और पद के घमंडमे चूर रहें,और समाज को सहयोग नही दिया तो,हम सबका सामूहिक रूप से पतन होता रहेगा। हम अन्य जातियों से और भी पीछे रह जायेंगें। आपसे विनम्र अनुरोध है कि समाज के कमजोर वर्ग की प्रगति के लिये हमे ऐसे हर नियम का पालन करना है जिससे उसके परिवार और समाज के लोगों की प्रगति हो सके।
-संकलन
रामअवतार लोमारे
सेवानिवृत प्रबंधक देना बैंक विष्णुपुरी कॉलोनी,हरदा
मो.-8871105077
अधिकार और कर्तव्य विशेषांक