कूरीति-अंधश्राद्धा उन्मूलन विशेषॉक सितम्बर नवम्बर 2016
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-महेश चौरसिया |
यूँ तो कतिया समाज में सुधार की दिशा मे कई प्रयास हुये हैं,और होना भी चाहिये,इसी कड़ी मे हमारे युवा साथी अनिल भवरे जी के द्वारा भी कतिया गौरव पत्रिका का प्रकाशन कर एक मजबूत सराहनीय पहल की गई है। इसके पीछे इतिहासकारों की वह पंक्ति परिलक्षित होती है जिसमें कहा गया है कि, जिस समाज का साहित्य नहीं होता,वह इतिहास नहीं बना सकता!
मेरी समझ के मान से अभी तक कतिया समाज के इतिहास के नाम कुछ एक सबूत ही हैं,उसमे राव के पास पोथी और कभी कभार भोपाल कतिया समाज संघ से प्रकाशित कुछ किताबें और परिचय सम्मेलन,विवाह सम्मेलन आदि के पर्चे जो समय के साथ भुला दिये जाते है! कतिया गौरव पत्रिका एक चिरस्थाई अभिलेखा हो सकता है समाज के इतिहास को भविष्य मे बताने के लिये। कतिया गौरव के संपादक के द्वारा कड़े परिश्रम,मेहनत एवं लगन के साथ पत्रिका को समाज के हर घर में पहुँचाने का अथक प्रयास किया जा रहा है,जो सराहनीय है। कतिया गौरव पत्रिका व्यक्ति विशेष द्वारा समाज मे होने वाले कार्यक्रम की खबरों का प्रकाशित किया जाता है,! लेकिन उसमे कुछ विज्ञापन भी छपते हैं,उन विज्ञापनों से ही आगामी अंक के व्यय किये जाते है। अभी तक जो अंको का प्रकाशन हुआ है, उसने प्रकाशक को कर्जदार बना दिया है। इसका अर्थ यह है कि, यदि ऐसी ही स्थिति बनी रही तो एक ओर बलिदान तैयार है समाज सुधार के नाम पर! इसके लिये आप हम सब जिम्मेदार हो सकते है। ऐसा इसलिये लिख रहा हूँ, क्योंकि कतिया समाज के प्रबुध्द नागरिक जो समाज का संगठन भोपाल,खाण्डवा,बुरहानपुर,इंदौर आदि स्थानो पर चलाते हैं,उसमे से कुछ लोग कतिया गौरव पत्रिका को प्रकाशित नहीं होने देना चाहते हैं। मेरी जानकारी के अनुसार विरोध करने के पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि,कतिया गौरव पत्रिका अनिल भवरे जी का व्यक्तिगत प्रकाशन है। समाज के लोग क्यों खरीदें?
यह तर्क मेरे मन मे भी कई बार, हजारों बार आया, किन्तु मैने इसके उपर सोचा कि, मेरे घर मे जो अखबार रोज आता है, वो भी तो किसी का व्यक्तिगत प्रकाशन है! उसमे लाखो रूपये के विज्ञापन रोज प्रकाशित होते है। लेकिन अखबार का विरोध करने का मन मे विचार तक क्यों नहीं आया, फिर मै कतिया गौरव पत्रिका का विरोध क्यों करूँ। मेरे ख्याल से जो लोग पत्रिका का विरोध कर रहे हैं, वो कतिया समाज के शुभचिंतक कभी नहीं हो सकते है। वो लोग समाज के नागरिकों को आगे बढ़ने से रोकना चाहते है। यह भी कह सकते हैं, इस तरह का विरोध केकड़ा प्रवृत्ति हो सकती है। पत्रिका का विरोध करने मे एक साथ लामबंध होकर जितनी मेहनत लगा रहे हैं, उतनी ही मेहनत पत्रिका के प्रकाशन मे लगा दी जावे तो शायद आने वाले भविष्य मे कतिया गौरव साप्ताहिक अखबार भी आपके हाथों मे होगा! मित्रो बहुत समझने के विषय है,जितनी गंभीरता और गहराई से समाज की गतिविधियों पर विचार करने की आवश्यकता है! शायद अभी हमे और अधिक गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। साथी हाथ बढ़ाना...............के सिध्दांतो को अपनाकर एक दसरे को सहयोग करने की आवश्यकता है। विरोध तो कोई भी हल्के विचार रखने वाला कर सकता है। मेरी इस लेखनी से किसी को ठेस पहुँच सकती है...!
इसके लिय मै माफी नहीं चाहूँगा।
-महेश चौरसिया
सहा. परियोजना अधिकरी, जिला पंचायत
हरदा, मोबाईल नंबर-9009145550