अन्तर्राष्ट्रीय वृद्धजन सम्मान पखवाड़ा वरिष्ठ जनों को सम्मानित कर गौरवांवित हुए युवा

 

श्री अमर सिंह कतिया से प्रेरित प्रतिवर्ष आयोजित                                     

 अन्तर्राष्ट्रीय वृद्धजन सम्मान पखवाड़ा

 वरिष्ठ जनों को सम्मानित कर गौरवांवित हुए युवा

 - सेवकों को मिला सम्मान-शौर्य वीरों को बन्दूक से दी सलामी

श्रीराम जानकी मंदिर जलोदा में  अन्तर्राष्ट्रीय वरिष्ठजन सम्मान पखवाडे
 के समापन अवसर समाज के 11 उन महनुभावों का सम्मान

जलोदा-श्री राम जानकी मंदिर जलोदा में अन्तर्राष्ट्रीय वरिष्ठजन सम्मान पखवाडे के समापन अवसर पर समाज के प्रमख वरिष्ठ समाज सेवीयों का सम्मान किया गया। कतिया गौरव परिवार व विश्वामित्र सोशल वेलफेयर सोसायटी के संयक्त प्रयास से आयोजित इस समारोह में समाज के 11 उन महनुभावों का सम्मान किया गया जिन्होने अपने जीवनकाल में 10 वर्ष या अधिक का समय सक्रीय समाज सेवा को समर्पित किया। जो आज भी समाज में सक्रीय योगदान दे रहे है। कतिया गौरव परिवार व समाज के उपकृत युवाओं ने समस्त महानुभाओं को प्रतीकात्मक शाल,श्रीफल भेंटकर सम्मान में बन्दक से सलामी देकर कृतज्ञता व्यक्त की। सम्मान समारोह में श्रीराम जानकी मंदिर जलोदा के संस्थापक सदस्य व राष्ट्रीय कतिया समाज सेवा संघ के अध्यक्ष श्री रामलाल बडनेरे (गुल्लास) जिन्होंने घर -घर जाकर सामाजिक एकता के लिए अलखा जगाई। साथी सहयोगी श्री सूरज सिंह मौर्य के साथ सेक्टर व्यवस्था के अनुसार कार्यकृम तय कर लोगों को एकता के सूत्र में पिरोया। हरदा व आसपास के समाजिक बंधुओं को मंदिर में दान के लिए प्ररित किया। उनके अथक प्रयासों से ही आज श्रीराम जानकी मंदिर का निर्माण संभव हो सका। सन 1991 में आपके मार्गदर्शन से ग्राम खिडकीवाला में आयोजित सामूहिक विवाह सम्मेलन में समाज के 90 जोडे व सन 2004 में 16 जोडे परिणय सूत्र में बंधे। सन् 2004 में ही बैशाख सुदी पूर्णिमा के दिन महाकाल की नगरी अवंतिका उज्जैन में कुम्भ के अवसर पर एक दिवसीय भंडारे का आयोजन किया गया। इस आयोजन में व श्रीराम जानकी मंदिर निर्माण के पर्व सामाजिक संगठन निर्माण में सूरज सिंह मौर्य (सारंगपर.जिला राजगढ़) की महत्वपूर्ण भूमिका रही। विपरीत परिस्थितियों व संघर्ष के समय वैदराज श्री बडनेरे जी के साथ श्री सूरज सिंह मौर्य ही संकल्प के साथी रहे। इस अवसर पर उनकी अनुपस्थिती में भी उनके कार्याे को याद कर श्री मौर्य को सम्मानित किया गया।

                वैदराज बडनेरे जी ने अपना जीवन समाज को समर्पित कर दिया है। 70 वर्ष की उम्र में भी आप तन समर्पित मन समर्पित और यह जीवन समर्पित की भावना से जुटे है। आप समाज के कर्मठ सेवक,ओजस्वी वक्ता,धुन के पक्के व बात के धनी माने जाते है। आपको सम्मानित कर समाज का गौरव बड़ा है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए महेश पटेल व सदाशिव पवार द्वारा सम्मान किया।

श्री राम जानकी मंदिर के लिए भमि खरीदने व निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका में रहे श्री लक्ष्मी नारायण चोलकर का सम्मान हुकुम बिलोरे व दिनेश चौरे ने किया। गॉग्याखोडी के सेवा को समर्पित,जोश और उत्साह में युवाओं को मात देने वाले वयोवृद्ध युवा समाजसेवी श्री रामबकस जी सरवरे। मंदिर समिति व समाज में सेवाकार्य को सहर्ष करने के लिए तत्पर समसाबाद निवासी श्री तिलकराम जी ढोके को सखाराम जी,नरेन्द्र ओनकर व हरीराम ढोके ने सम्मानित किया।

           शिक्षक,समाजसेवी,रंगकर्मी,भजन गायक के साथ ही कुशल संगठक व संचालक के रूप में पलासनेर के श्री रामदीन जी ढोके जाने जाते है। आपनें लगातार सात वर्ष तक सफलता पूर्वक पलासनेर में समाज का सफल व्यवस्थित निःशुल्क विवाह सम्मेलन आयोजित किया। भजन मंडल व रामायण मंडल के माध्यम से भी आपने समाज को वर्षों तक सक्रीय समय दिया। जीवन के अधिकॉश वर्ष अपने समाज को समर्पित किए। आपका जीवन वाक्य ही -मैं कहता नहीं करता हूं है। यहाँ भी आपनें मंदिर समिति को 15 गुना 30 का सर्वसुविधायुक्त टेन्ट समाज को दान कर यह सिद्ध कर दिया कि आप का जीवन ही समाज को समर्पित है। अनिल भवरे,बसंत ओनकर द्वारा आपको सम्मानित कर कृतज्ञता व्यक्त की। इन्दौर के श्री भागीरथ जी गजरभोज(जिनकी जीवनी पिछले अंक में है।) जिन्हें खाण्डवा व इन्दौर सहित जहाँ भी समाज की सेवा का अवसर मिला आप सदैव तत्पर रहे। आपका सम्मान ठाकुर लाल हुरमाले व एड. दौलत सेजकर द्वारा किया गया। सॉवल खेड़ा जिला सीहोर में निवासरत मास्टर के नाम से ख्याति प्राप्त श्री शंकर लाल जी ओनकर ने आयोजकों के इस कार्य की प्रसंशा की। उन्होंनें कहा कि समाजिक एकता के लिए यह आवयश्क है कि दूरस्थ ग्रामों में एकजुटता के लिए अधिक प्रयास करें।

                                           हरदा के पोस्टमेन पद से सेवानिवृत श्री ग्यारसी लाल जी व सत्य को हर हाल में कहने वाले वक्ता श्री महेश चौरे जिन्होंने लम्बे समय से समाज के सेवा कार्यों में जुड़े रहे है। अपका एड.मोहनलखोरे व दुर्गेश धार्मिक द्वारा मंच से सम्मान किया गया।

                     इस अवसर पर विश्वामित्र परिषद के सचिव व कतिया गौरव के सम्पादक अनिल भवरे ने कहा कि सन् 2005 से निरंतर 1 अक्टवर अन्तर्राष्ट्रीय वृद्ध जन दिवस पर संस्था समाज के वरिष्ठ जनों की सेवा सम्मान कर अपना समाजिक उत्तरदायित्व निर्वाहन कर रही है। उन्होंने बताया कि प्रथम बार मण्डीदीप के निकट ग्राम सतलापुर में आयोजित कार्यकृम दौरान बुजुर्गों के मुंह से मुझे दिए गए आशीष वचन सुनकर मेरी माता श्रीमती भागवती देवी व पिता स्व.श्री अमर सिंह कतिया भाव विभोर हो रो पड़े थे। उनके विचार सुन उपस्थित लगभग 70 से अधिक बुजुर्गों की ऑखों भर आई थी। पिता की प्रेरणा से परिवार में बुजुर्गों की सेवा सम्मान की आवश्यक्ता,अनिवार्यता और महत्व को मन वचन और कर्म से प्रत्येक सदस्य सहर्ष स्वीकार कर सकें, इस उददेश्य से प्रतिवर्ष आयोजन किए जाने लगे।  इन कार्यक्रमों को निरंतर आत्मीयता और प्रोत्साहन मिलने पर इस आयोजन को अब पखवाड़े के रूप में मनाया जाता है।

                    आगे उन्होंने कहा कि जिस परिवार की कमान अनुभवी वरिष्ठजनों के हाथों हो वह परिवार सदैव सुख शॉति और समृद्धि के साथ ही उन्नति पथ पर अग्रसर रहता है। जहाँ बुजुर्गों का निर्णय शिरोधार्य होता है। उनका मान सम्मान सेवा और आज्ञापालन परिजन अपना कर्तव्य मान सहर्ष विनम्रता से करते है। सही अर्थाे में ऐसा परिवार ही आदर्श परिवार कहा जाता है। वास्तव में एसे परिवार ही धरती पर स्वर्ग है।

              कतिया गौरव परिवार व विश्वामित्र सोशल वेलफेयर सोसायटी द्वारा इस तरह के आयोजन समाज के प्रत्येक ग्राम में आयोजित किए जाएंगे एसा संकल्प भी श्री भवरे ने उपस्थित महानुभावों के बीच दोहराया।

                     अयोजन पूर्व संस्था के प्रतिनिधि मंडल ने आदर पूर्वक समस्त महानुभाओं को आमंत्रित कर समाज हित में उनके द्वारा किए गए कार्याे को उपस्थित जनांे को स्मरण करा कर कृतज्ञता व्यक्त की। मंच संचालन करते हुए महेश पटेल ने समस्त महानुभओं का संक्षिप्त जीवन परिचय दिया। उन्होंने बताया कि जिन स्वजनों का सम्मान किया गया है उनका जीवन परिचय कतिया गौरव के अगामी अंको में प्रकाशित किया जाता रहेगा। कार्यक्रम की गरिमा के अनुरूप समाज के अग्रजनों के सम्मान में देश के सिपाही हुकम बिल्लोरे ने अपनी बन्दूक से फायर कर सम्मान दिया। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज परम सम्मानीय आखा जी व भाना जी वीर योद्धा थे। अनकी राह पर चलने वालों को वीरोचित सम्मान मिलना चाहिए। इस लिए श्री बिल्लोरे स्वजनों के सम्मान में अंगरक्ष बन अपनी कृतज्ञता व्यक्त की।

                      सम्मान समारोह में सर्वश्री नर्मदाप्रशाद गूजरभोज,श्यामलाल बिल्लोरे,गुलाबचंद बडनेरे,अनिल ढोके,एड.मोहन लखोरे,दुर्गाशंकर धार्मिक,अशोक सातनकर,प्रेम पाटनकर,मयाराम चौरे,लक्ष्मीनारायण लोचकर,अनिल सेजकर,भगवानदास काजवे,अजय सॉगुले,श्यामलाल बडनेरे,मदिर समिति के समस्त सदस्य उपस्थित हुए।



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