आओ हम पहल करें!!
- 1)हम तन-मन-धन से परिपूर्ण है, फिर भी सम्मान की प्यास तड़पाती है ऐसा क्यों हैं, उसे अपने आप में ढूंढ़ने का प्रयास करें।
2) अवकाश के दिन छोटे या बड़ेसमूह में बैठकर, विचार गोष्ठी करें, छोटे बड़े परस्पर सम्मान देकर, विचारों पर मन्थन करें।
3) समाज को पुजनीय मानकर निर्मल हो तन-मन से समर्पित होकर विचारों के सुगंधित फूल-फल अर्पण करें।
4) भांजी की शादी, मामाओं व्दारा करके बहन-बहनोई की मदद कर धर्म मानते थे। विधवा विवाह होता था। अधिकांश सामाजिक विवाद का हल समाज के बुजुर्ग करते थे। लड़की हो या लड़का सन्तान होना ईश्वर की महान कृपा मानते थे। सभी भाई-भाई साथ में रहना गौरव की बात होती थी। मित्रों क्या ये कुरीतिथी?
5) कतिया गौरव के लेख एवं समाज प्रबुद्वगण समाज की महिमा गायें,उसकी स्तुति गायें। विचारों से अपनी कर्माे से गौरान्वित करें।
6) परिवार ने समाज ने मित्रों ने अपने अधिकार त्याग, प्यार देकर श्रेष्ठता दी और दिलाई। आत्ममंथन करेगें तो हम पायेंगे हमने स्वयं अधिकार,सम्मान नहीं देकर खुद ही दबाये बैठे हैं।
7) आपकी बौद्विक, आर्थिक,स्वतंत्रता, सहयोग समाज को गौरव प्रदान करेगा।
आओ हम सब संकल्प लेवें! आओ हम पहल करें!!
मैं,आपका व्यक्तिगत आभारी रहूँगा।
- महेश चौरे
बस स्टेण्ड, हरदा (9669526347)