श्री आखा जी - श्री भाना जी - काव्य

                              श्री आखा जी . श्री भाना जी 

 प्रहलाद सिंह चौरे - हरदा
             श्री आखा जी,आखा जी,आखा जी!
              श्री भाना जी,भाना जी,भाना जी !
                 शरण म हम सब ख लीजो जी!
                खुशी स हम  ख भरी दीजो जी !

                        म्हारो समाज गरीब बहोत छे!
                    गरीब बहोत छे,गरीब बहोत छे!
                       धन धान्य स भरी दीजो जी !
                                                           शरण म हम सब ख............

 

                                     म्हारो समाज अज्ञानी बहोत छे !
अज्ञानी बहोत छे,अज्ञानी बहोत छे !
ज्ञान को परकाश कराई दीजो जी !
शरण म हम सब ख................

म्हारा समाज म दुर्गुण बहोत छे !
दुर्गुण बहोत छे,दुर्गुण बहोत छे !
सद्गुण स खूब ई भरी दीजो जी !
शरण म हम सब ख लीजो जी !

म्हारो समाज मारग भटकेल छे !
मारग भटकेल छे,मारग भटकेल छे !
भूल्या ख रहाव बताई  दीजो जी !
हम सब ख शरण म .............

आप हमारा युग पुरुष  छे !
युग पुरुष, इतिहास पुरुष छे !
हमारी भी गरिमा बढ़ाई दीजो जी !
शरण म हम सब ख ..............

श्री आखा जी,आखा जी,आखा जी !
श्री भाना जी,भाना जी,भाना जी !
हम सब ख शरण म लीजो जी !
खुशी स हम सब ख भरी दीजो जी !

                  प्रहलाद सिंह चौरे        
                          हरदा
                 

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