समाज का हक म खूब लड़ो l
आपस म लड़नो कमजोरी छे l
कोरी या सीनाजोरी छे l
छोटी छोटी बात म मत लड़ी पड़ो l
कतिया होंण आपस म...........
जोर तुम्हारा म खूब ई भरेल छे l
फिर बी तुम क्यौं खूब ई डरेल छे l
कसो बठेगा तुम्हारो धड़ो l
कतिया होंण आपस म............
पोर्या पारी न ख खूब भँणाओ l
कागत पेन हथियार बँणाओ l
आरु तुम खुद बी खूब ई पढ़ो l
कतिया होंण आपस म.............
नारी रक्षा बड़ो छे जिम्मो l
इनको खुद ही करी लेओ बिमो l
जे का ले ण खम्बा ज सा खड़ो l
कतिया होंण आपस म............
नेतागिरी बाह्यर को काम छे l
समाज भित्तर ए प लगाम छे l
नेतागिरी करी करी मत तुम लड़ो l
कतिया होंण आपस म.....,......
रूढ़ी होंण छे बड़ी बिमारी l
टोना टोटका छे महामारी l
ढोंग धतूरा म मत पड़ो l
कतिया होंण आपस म ............
जरूरी छे समाज म एको l
गुर्रा फुर्री स मत देखो l
करो मत आपस म झगड़ो l
कतिया होंण आपस म............
दारू दर्पण स दूर ई रहिजो l
सारा नशा न ख बाय बाय कईजो l
नशा म मत नाली म सपड़ो l
कतिया होंण आपस म........,.,.
मदिरा माँस मत हाथ लगाओ l
इनकी कबी राह मत जाओ।
खाई पी ख खूब ई मत बड़बड़ो l
कतिया होंण आपस म..,.....,....
फूगी फूगी मत रहो रे भैया l आड़ा टेढ़ा मत चलो रे भैया l
रिसाई ख खूब ई मत अकड़ो l
कतिया होंण आपस म..........,..
जसो ब ण उसो बजन उठाओ l
मण भर,किलो,छटाक उठाओ l
पण मिली जुली संग म बढ़ो l
कतिया होंण आपस म............
चिकणों आँगणों म्हारो समाज छे l
आँगणों सब घर होंण को ताज छे l
लड़ी भीड़ी ए ख मत करो खुड़बड़ो l
कतिया होंण आपस म.............
प्रहलाद सिंह चौरे
हरदा