अपना नजरिया बदलें दुनियाँ बदलने लगेगी
कतिया गौरव जनवरी - फरवरी 2017
हम सबके पास प्रभु प्रदत्त अतुलनीय सुन्दर काया और अद्वितीय चिन्तनशील मस्तिष्क है, इसके लिए हम सबको उस परमपिता परमेश्वर को शुक्रिया अदा करना चाहिए। जीवन, मरण, यश, अपयश यह सब तो निश्चित ही है, परन्तु जरा विचार कीजिए कि हमारा जन्म माँ भारती के इस पावन गोद में ही क्यूँ हुआ? पृथ्वी के अन्य सुदूर देशों में भी तो हो सकता था? पल हर पल भौतिकता की होड़ में स्वयं को अग्रसित पाने हेतु हम लोग अपना एक एक बहुमूल्य पल व्यतीत करते जा रहे हैं। मगर क्या हमने कुछ वक्त निकालकर इस पर विचार किया कि जो भी पल व्यतीत हो रहा है. इसका हम कितना सार्थक उपयोग कर रहे है? आखिर ऐसा क्यूँ होता है कि हममें से ही कुछ लोग अपने सीमित जीवनकाल में प्रतिपल का सदुपयोग करके माँ भारती के गौरव का परचम लहराकर अपने किए हुए कायों को आदर्श रूप में समाज के सामने प्रस्तुत कर जाते हैं? मगर अधिकतर लोग इस जीवन के मर्म को समझ तक भी नहीं पाते हैं।
ध्यान देने वाली बात यह है कि यदि हमें इतिहास रचना है तो अपने अवचेतन मन में पागलपन और जिद के कछ बीज बोने ही पड़ेंगेकोई भी इंसान जन्म से ही विद्वान और आदर्श नहीं रहता और यदि ऐसा बदलने लगेगी हो जाए तो वह पहले से ही पूर्ण हो जाएगा, फिर तो जीवन में कुछनया करने की इच्छाशक्ति जागृत होगी ही नहीं, आपने शिक्षा प्राप्त की है या नहीं ? धनार्जन किया है या नहीं?,खुशियाँ समेटी हैं या नहीं?. ..अब तक आपके साथ क्या हआ उन सबको छोडिए, आज से आप एक नई स्फर्ति के साथ कछ कर गुजरने की ठान लीजिएसच मानिए, जैसै जैसे आपके कदम बढ़ते जाएंगे, वैसे वैसे आपको एक असीम संभावनाओं जैसे आपके कदम बढ़ वाला संसार नजर आने लगेगा, खशियाँ दिन दूना रात चौगना मिलती जाएगी, अनन्त ऊर्जा खद-बखद आप में समाहित होती जाएगी। बस आपको स्वयं पर विश्वास रखकर यह अच्छी तरह से जान लेना है कि सपने साकार करने के लिए जिन चीजों की जरूरत है, वह सब आपके पास मौजद हैं।
एक बार एक गाँव में बूढ़ा बैल भटकते भटकते कुएँ में आ गिरा। उसकी मार्मिक अवाज सनकर लोग कएँ तक आते और देखकर चले जाते। उसकी बुढ़ी अवस्था को देखकर कोई उसको निकालने के लिए सोचता भी नहीं था क्योंकि अब वह उपयोग में लाए जाने योग्य नहीं था, बैल लगातार भूख प्यास से व्याकुल होकर चिल्लाता रहा। धीरे धीरे उसकी आवाज धीमी पड़ती गई। अन्ततरू गाँव के मुखिया ने उसको निकालने के बजाय कुएँ में ही दफनाने का निर्णय लिया। मुखिया ने सभी गाँव वालों को फावड़ा लेकर कुएँ के समीप एकत्रित किया। लोग उस कुएँ में एक एक फावड़ा मिट्टी डालने लगे। मिट्टी डालते डालते कुआँ तकरीबन भरने वाला था ,तभी किसी की निगाह कुएँ में गई तो बैल तो दबा ही नहीं था बल्कि वह ऊपर आ चुका था। जैसे जैसे लोग कुएँ में फावड़े से मिट्टी डाल रहे थे, वैसे वैसे बैल पीठ हिला हिला कर मिट्टी झाड़कर एक कदम आगे बढ़ जाता था। जैसे ही कुआँ भरने की कगार पर था तो बैल अचानक कूदकर बाहर आ गया। लोग इस वाकये को देखकर दंग रह गए।
कहानी का निष्कर्ष यह है कि दुनियाँ में अधिकतर लोग आपको निरर्थक समझकर आप पर कीचड़ उछालेंगे,पथभ्रष्ट करेंगे, दबाने का प्रयास करेंगे, यहाँ तक कि आपको गर्त में ढकेल देंगे। मगर आपको इन कठिनाइयों से गुजरकर कदम दर कदम आगे बढ़ते ही जाना है। पर हॉ परिस्थितियों का रोना रोना छोडना पड़ेगा। एक नई स्फूति, दूरदाशता आर खुले मस्तिष्क से स्वयं को सत्कर्म हेतु न्यौछावर करना ही होगा। आपको अपार खुशियाँ, अनन्त ऊर्जा और एक नई दुनिया मिलेगी, जिसकी अपार खुशिया, अनन्त ऊजा आ आपन अभातक कल्पनाभा नहा का होगा। हम गौर करें तो पाएगे कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अपार सम्भावनाएँ हैं, मगर आवश्यकता उनको शीघ्र समझकर अपनी सम्पूर्ण सार्थक ऊर्जा सत्कर्मों के निमित्त न्यौछावर करने की है। मुख्यतः हमें अपने चारों ओर एक सकारात्मक माहौल बनाते हुए बढ़ते जाना है। हाँ यह जरूर है कि थोड़ा वक्त जरूर लग सकता है मगर सफलता जरूर मिलेगी।
जीवन में सफलता प्राप्ती के लिए यह करें
1 - आत्मचिंतन करें एवं स्वयं को समझें!
2 - स्वयं के प्रति इमानदार बनें!
3 - पुस्तकों को मित्र बनाएँ!
4 - समय की उपयोगिता समझें!
5 - लक्ष्य निर्धारित करें!
6 - प्रत्येक क्षण को अन्तिम क्षण समझकर जियें!
7 - असफलता से सीख लें!
8 - कुसंगति, व्यसनों और कुविचारों से बचें!
9- आन्तरिक चेतना जागृत करें!
10-आधनिकता के साथ साथ अपनी गौरवपूर्ण संस्कृति को समझें!
विनम्र आभार सहित!
प्रस्तुतकर्ता - श्रीमती लता दोके मण्डीदीप
,जिला-रायसेन