भोजपुर के समीप वीरान गांव द्वारी में स्थित है माता का प्राचीन मंदिर

करवा चौथ पर अपने पति की दीर्घायु के लिए चौथ माता की मडिया पर मत्था टेकने पहुंचती है सुहागिनें,



भोजपुर के समीप वीरान गांव द्वारी में स्थित है माता का प्राचीन मंदिर


 मंडीदीप। 
 बहुत कम लोगों को पता है कि भोजपुर के पीछे वीरान गांव द्वारी में भी चौथ माता का मंदिर है ।यहां भी चौथ के दिन विशेष पूजा अर्चना करने महिलाएं परिवार सहित आती है ।यह स्थान विश्व प्रसिद्ध भोजपुर के शिव मंदिर से लगभग डेढ़ किलोमीटर पूर्व की ओर ग्राम इमलिया रोड पर है। जहां बुधवार को करवा चौथ पर्व पर सुहागिन महिलाओं ने सुख सौभाग्य और पति की दीर्घायु की कामना से निर्जला व्रत रख कर चौथ माता की विधि विधान से पूजा अर्चना की।



           चौथ माता का यह मंदिर  बहुत पुराना बताया जाता है। अपने पति व परिवार के साथ पूजा करने पहुंची मंडीदीप निवासी लता ढोके ने बताया कि गूगल मैप पर सर्च करने पर पता चला की करवा माता का यह मंदिर भोजपुर के निकट है। उन्हें राजस्थान की करवा माता मंदिर व माता की प्रसिद्धि के बारे में जानकारी पहले से ही थी। लेकिन जब  इस स्थान के बारे में पता चला तो करवा चौथ पर यहां आकर उन्होंने परिवार के लिए सुख सौभाग्य और पति की लंबी आयु की कामना की।
कीर समाज की कुलदेवी है चौथ माता:
कहा जाता है कि यह मंदिर कीर समाज की कुलदेवी का है।  सिंहपुर इमलिया के  कमल पटेल बताते हैं कि  लगभग  5 पीढ़ियों पूर्व  उनके पूर्वजों ने  राजस्थान से  प्रतीक स्वरूप लाकर माता के चरण यहां स्थापित किए थे । यहां  हर चौथ पर पूजा अर्चना कन्या भोज  व भंडारा  आदि श्रद्धालु करवाते  हैं । यह उनकी कुलदेवी के रूप में  पूजी जाती हैं। लेकिन जनप्रतिनिधियों की अनदेखी और जंगल के बीचो बीच  स्थित होने के कारण अभी तक यह प्राचीन स्थान विकास से वंचित है। वहीं भोजपुर महंत पवन गिरी गोस्वामी बताते हैं कि 11वीं शताब्दी में राजा भोज द्वारा बनवाए गए जलाशय की मुंडेर पर चौथ माता की मडिया बनाई गई थी जहां से बांध का पानी ओवरफ्लो होकर निकलता था।



चौथ माता का मंदिर राजस्थान 
करवा चौथ के व्रत में चौथ माता की पूजा का विशेष महत्व है। चौथ माता भगवान शिव की पत्नी पार्वती का ही एक रूप है जिनकी इस दिन पूजा की जाती है।
जब बात चौथ माता की पूजा का आता है तो जाहिर है कि इस दिन चौथ माता के मंदिर में दर्शन करने का भी विशेष महत्व होता है। यही वह दिन होता है जब चौथ माता के मंदिर में सुहागिनों का मेला सा लग जाता है और हर महिला चाहती है कि वह चौथ माता के दर्शन करके धन्य हो जाए।
जानकारी के लिए बता दें कि चौथ माता का मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर के पहाड़ की एक चोटी पर स्थित है जिसकी स्थापना 1451 ईसवी में राजा भीम ने की थी। चौथ माता मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है।
भक्तगण करवा चौथ के दिन 700 सीढ़ियां चढ़कर चौथ माता के इस मंदिर में उनके दर्शन के लिए आते हैं।1463 में मंदिर मार्ग पर बिजली की छतरी और तालाब का निर्माण कराया गया। इस मंदिर में दर्शन के लिए राजस्थान से ही नहीं अन्य राज्यों से भी लाखों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं।
नवरात्र के दौरान यहां होने वाले धार्मिक आयोजनों का विशेष महत्व है। करीब एक हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर विराजमान चौथ माता जन-जन की आस्था का केन्द्र है।
करवा चौथ पर लगता है मेला
चौथ माता के माधोपुर के मंदिर में करवा चौथ के दिन मेला लगता है जिसमें हर साल लाखों भक्तगण आते हैं। चौथ माता को करवा चौथ वाले दिन सुंदर दुल्हन की भांति तैयार किया जाता है। कहा जाता है कि जो सुहागिन इस दिन माता के दर्शन कर लेती है उसे अपने वैवाहिक जीवन में खुशहाली के लिए वरदान प्राप्त होता है। उसका दांपत्य जीवन बड़ी खुशहाली से बीतता है।
भगवान गणेश और भैरवनाथ का मंदिर
चौथ माता के मंदिर की ऊंचाई जमीन से 1100 फीट है और इस मंदिर में कुल 700 सीढ़ियां है जिनको पार करके भक्त माता चौथ के दर्शन कर पाते हैं। इस मंदिर में भगवान गणेश और भैरवनाथ की मूर्ति भी विद्यमान है।
राजपूतों की शैली और संगमरमर के पत्थर से बने चौथ माता के इस मंदिर को देखने के लिए यहां साल भर भीड़ बनी रहती है। करीब 566 साल पुराने इस मंदिर की वास्तुकला देखने वाले के मन को मोह लेती है।
यहां के स्थानीय लोगों की मानें तो उनके लिए किसी भी काम की शुरूआत चौथ माता की पूजा के बाद ही होती है। ऐसा करने से शुभ कार्यों में बाधाएं नहीं आती है ।
बूंदी राजघराने के लोग आज भी चौथ माता को कुलदेवी के रूप में पूजते हैं और देवी चौथ से अपने घरों की सुख-शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।
वहां के स्थानीय लागों की मानें तो चौथ माता के मंदिर में सालों से एक अखंड ज्योत जल रही है और करवा चौथ वाले दिन इस ज्योति की चमक और भी बढ़ जाती है ।
माता को देते हैं शुभ काम का पहला निमंत्रण
हाड़ौती क्षेत्र के लोग हर शुभ कार्य से पहले चौथ माता को निमंत्रण देते हैं। प्रगाढ़ आस्था के कारण बूंदी राजघराने के समय से ही इसे कुल देवी के रूप में पूजा जाता है।
माता के नाम पर कोटा में चौथ माता बाजार भी है। कोई संतान प्राप्ति तो कोई सुख-समृद्धि की कामना लेकर चौथ माता के दर्शन को आता है। मान्यता है कि माता सभी की इच्छा पूरी करती हैं।
करवा चौथ पर सुहागिन महिलाएं चौथ माता से अपने सुहाग की रक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं। माना जाता है कि इनकी पूजा करने से अखंड सौभाग्य का वरदान तो मिलता ही है साथ ही दाम्पत्य जीवन में भी सुख बढ़ता है।


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