कतिया समाज बड़ी चोखी
- भागीरथ गुजरभोज जी
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मेरी तो है कतिया समाज बड़ी चोखी,चोखार क्या जाने अचोखार क्या जाने ।
गुड़ी पड़वा को कतिया जयंती मनाये नौमी को श्रीराम की।
आखातीज आखा जी जयंती, मन मोहरत के ब्याह भी।।1।। मेरी तो है---
मास आषाढ़ फसलहुं फारिग हो, चौपड़ मन बहलायें।
श्रावणी गीत और डंडे लड़ाकर रक्षाबंधन भुजरिया भी मनायें।।2।। मेरी तो है---
भादों मास जन्माष्टमी मनाये नौमी नामदान गुरु से पाये।।3।। मेरी तो है---
क्वार कनागत आये पुरखों को जिमवायें।
देवी दशहरा धाम लगाकर जस पर नाच चावें। मेरी तो है कतिया---
रबी फसल बोने के लाने हल हांके हलुर हम गांवे ।
हेली हमारी मन में मगन हो बीज खुशी हो बोये।।।3।। मेरी तो है कतिया--
ग्यारस शयनी और उठनी बसंत पंचमी पर मन मोहरित शादी भी रचायें।
भानाजी की जयंती मनाकर युगल बनादें जोड़ी ।।4।। मेरी तो है कतिया----
फागुन माह फाग हम गांवे क्या नर क्या नारी।
कहे भागीरथ जाति कतिया का,हिलमिल त्यौहार मनाये ।।5।। मेरी तो है कतिया---
**। इति ।**