छोरो सुणतो नी हँईं
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काई को कईं छोरो सुणतो नी हँईं l
म न कई साँद म स दराँतो ली आ,
टोपली म स एकादो काँदो ली आ,
तू ख बणाई देऊँ कईं नी कईं l
तसमसाया कर्यो म्हाँ को म्हँईं,
पण नाव नी गुलाम सुणतो हँईं l
काई को कँईं------------------
म न कई बाड़ा म स भटा तोड़ी ला,
थोड़ा घणाँ मारूभटा तोड़ी ला,
तू ख भाजी बणाँई देऊँ कँईं,
पण बठ्यो रह्यो म्हाँ को म्हँईं l
नाव नी छोरो सुणतो हँईं l
काई को कंँईं-----------------
पनचक्की प स आँटो पिसाई ला,
थोड़ो घणों घाँटो पिसाई ला,
आँटो तो निस्तुक नी हँईं l
पण फुस्क्या कर्यो म्हाँ को म्हँईं l
कईं बी करो छोरो सुणतो नी हँईं l
काई कै कँईं---------------------
माथा धोणाँ की मट्टी ली आ,
ओ ख रखणांँ ले ण नट्टी ली आ,
सपड़ी ख पूजापाठ करी लेऊँ कँईं
टुगुर टुगुर देख्या कर्यो उठ्यो नी कँईं
जरा टस स मस बी होतो नी हंँईं l
काई को कँईं---------------------
बाप न कई कि इंगारो लाई द,
चीलम की स्यापी भिंजाई लाई द,
मूँ म स नी निकली हाओ नी नईं l
आखिर ख म ईच उठी न गई,
गुर्री खाई ख देख्या कर्यो उठ्यो नी कंँईं l
काई को कँईं---------------------
कऊँच कि बेटा रोटी बणाँई देऊँ,
थारा कँईं कपड़ा लत्ता धोई देऊँ,
कयेच तू ई कर्या करे,म नी करूँ कँईं l
दौड़ी ख करच,म ख करण देतो नी कँईं l
पण नाव नी छोरो सुणतो हँईं l
काई को कँईं------------------
भुन्सा र म्हारा स पैलम जागच,
झल्दी उठी ख हमारा पाँय लगच, कैच तू ख उठना की जरुवत नी हँईं l
तू ख कईं करना की जरुवत नी हँईं l
कुँण की देक लीच गुलाम सुणतो नी हँईं l
काई को कँईं-------------------
चुपचाप कुआ प स पाणी भरी लावच ,
बिना कये सबका हुन्ना धोई लावच,
म कऊंँच बेटा म बी करूँ कईं l
आ ब कयेच तू बठी र् ह म्हाँ की म्हँईं l
म बी तो सीखूँ कंँईं नी कँईं l
काई को कँईं--------------
पैलम बी एका मारे र् ह्य धुरूजमान,
आ ब बी एका मारे छे परेशान,
पैलम बी नी सुणतो थो म्हारी,
आरू आ ब बी एक नी सुणतो हंँईं
दुआ छे नौकरी लगी जाय कँईं नी कँईंl
काई को कँईं -----------------------
काई को कँईं छोरो सुणतो नी हँईं l
--------प्रहलाद सिंह चौरे,हरदा