औषधीय पौधों की कोपलों से बड़ा रहे रोग प्रतिरोधक छमता
50 से अधिक लोग कर रहे हैं लाभकारी रसपान
मंडीदीप- बसंत ऋतु में औषधीय पौधों में कोपलें आती हैं। इनके रास का बड़ा महत्व है। शीतल मेगा सिटी में ब्रह्मकुमारी ईस्वरीय विस्वविद्याल द्वारा प्रेरित हो इस रस का लाभ रहवासी अपनी रोगप्रतिरोधक छमता बढ़ाने के लिए ले रहे हैं। बी के भगवानदास वर्मा द्वारा यह दिव्य पेय बनाया जा रहा है। जिसका लाभ विगत 15 दिनों से 50 से अधिक लोग ले रहे हैं। जानकारी देते हुए बी के श्री वर्मा ने बताया कि औषधि पौधों की कोपलों को एकत्र कर उनका रस निकाल निकाला जाता है। इसमें मुख्य रूप से नीम, गिलोय,मीठा नीम, अमलतास,सदाबहार गुलमोहर, पीपल, आंवला अश्वगंधा, तुलसी, अजवाइन पुदीना सहित लगभग 35 औषधि पौधों कि कोपलें,हल्दी,काली मिर्च,सौंफ,काला नमक, अजवाइन आदि को साथ में पीसकर रस बनाया जाता है। जिससे उदररोग तो दूर होते ही हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। यह रस शारीरिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण खनिज लवण व दिव्य गुणों से भरपूर हैं।इस रस के सेवन करने से शरीर की कई व्याधियों को दूर कर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है।।
इस कार्य में सहयोगी अनिल भवरे ने बताया कि हम दो लोगों को जब लाभ मिल तो हमने अन्य लोगों को प्रेरित किया और आज 50 से अधिक लोग उसका लाभ ले रहे हैं। मुख्य रूप से पेट के रोगी, किडनी, शुगर आदि के रोगियों को लाभ मिल रहा है।
इस दौरान सोशल डिस्ट्रेसिंग का पालन किया जाता है। रविवार को रसपान करने वाले लोगों के अनुभव को जानने के लिए कार्यक्रम भी आयोजित किया गया है।
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