सामाजिक विकास और व्यवस्था में अनुरोध के साथ आपका योगदान

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सामाजिक विकास और व्यवस्था में अनुरोध के साथ आपका योगदान


उन समाजों का पतन शीघ्र ही सुनिश्चित हो जाता है जहाँ समाज सेवा करने वालों के स्थान पर कान भरने वालों की कद्र होने लगती है। किन्तु इस कृत्य की पराकाष्ठा तो तब होती है जब समाज के व्यक्ति वगैर सोच-विचार वास्तविक स्थिति का संज्ञान लिए ही विश्वास करने लग जाते हैं। यथार्थ तो यही है कि ऐसे लोगों का हम वैचारिक अथवा व्यावहारिक विरोध नहीं करते, फलस्वरूप उनके हौसले बुलंद होते जाते हैं। बुद्धिजीवियों के व्दारा कान भरने वाले लोगों का वैचारिक, व्यावहारिक विरोध नहीं करना बुद्धिजीवियों का यह कृत्य कान भरने वाले लोगों से भी ज्यादा असहनीय पीढ़ा देता है। सामाजिक सौदेश्य, समाज का विकास और उसके उत्थान की दिशा में कार्य करने वाले समाजसेवी, लेखाक को उनके व्दारा किये गये कार्यों पर प्रतिक्रिया,आलोचना,समालोचना नहीं मिलने से कार्यों की गुणवत्ता और उसकी सफलता का आंकलन नहीं हो पाता है। ऐसे हालातों में सामाजिक संगठन के विकास की गति अवरुद्ध होने लगती है, उसकी सम्पूर्ण व्यवस्था चौपट हो जाती 


किसी भी समाज का विकास और उसकी व्यवस्था इसी बात पर निर्भर करती है कि उस समाज के समस्त सामाजिक सगठन सयुक्त रूपसे कंधे से कंधो मिलाकर एकसाथ कदमताल करते हुए सामाजिक विकास की ओर बढ़ें जैसे चट्टानों का सीना चरिकर त्रीव आवेग से बहती सरिता अपने लक्ष्य को साधती है। सामाजिक संगठनों के विकास की व्यवस्था जितनी मजबत होगी, उस समाज का चहमखी विकास होगा। इसके लिए सामाजिक संगठनों को स्वयं अपने-अपने गिरेबान में भी झाकना होगा कि, जब वे समाज के विकास, उसकी सुदढ़ व्यवस्था के लिए समय-समय पर कार्यक्रम आयोजित करते रहते हैं। इन कार्यक्रमों के आयोजन की व्यवस्था सामाजिक व्यक्तियों से दान, चंदा आदि के रूप में आर्थिक सहयोग प्राप्त कर किए जाते हैं। किन्तु सामाजिक संगठनों की गठित कार्यकारिणी के सदस्य स्वयं अपने नाम से आर्थिक सहयोग की रशीद नहीं कटवाते हैं। जिससे हम समाज में अविश्वास की भावना पैदा करते हैं। गौरतलब है कि खेल में नेतृत्व टीम एवं राजनीति में नेतृत्व चुने हुए प्रतिनिधि के व्दारा किया जाता है। खेल में टीम के हार जाने से सम्पूर्ण देश की हार होती है। आज कतिया समाज में जितने भी सामाजिक संगठन हैं वे इस बात को अपने दिलो-दिमाग में अच्छी तरह से स्थापित कर लें, किसी भी कार्यकारिणी/संगठन के व्दारा अच्छे एवं वॉछनीय सामाजिक सौद्देश्य के किए गए सामाजिक कार्य समाज को ऊँचाई प्रदान करते हैं। अवॉछित कार्य समाज को गर्त में ले जाते हैं फलस्वरू  अन्य संगठन अथवा कार्यकारिणी के व्दारा किया गया सामाजिक सौढदेश्य का कार्य भी धमिल हो जाता है। सामाजिक संगठनों का विकास और उसकी सुदृढ़ व्यवस्था में पत्रकारिता का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है। कतिया समाज में, कतिया समाज के लिए पत्रकारिता का अभाव है जिससे हम सम्पर्ण भारत में जहाँ रोजगार, व्यवसाय,,नौकरी में गए सामाजिक परिवारों से बेगाने/अपरिचित हैं आज कतिया गौरव पत्रिका कतिया समाज के परिवारों का मिलन/परिचय की दिशा में कतिया समाज का प्रतिनिधित्व कर रही है, किन्तु वर्तमान स्थिति में आशानुरूप सफलता प्राप्त नहीं हो पा रही है। कतिया समाज से अपेक्षा है कि वह सहयोग प्रदान कर सशक्त बनायें ताकि कतिया समाज को विकसीत समाज की श्रेणी का स्थान प्राप्त हो। सामाजिक संगठनों के विकास और उसकी व्यवस्था में भी सहभागी बनें। मल बात यह है कि कार्यकारिणी के सदस्य किसी भी कार्यक्रम व आयोजन हेतु सर्वप्रथम स्वयं आर्थिक सहयोग प्रदान करें।


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