कतिया समाज
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- प्रहलाद सिंह चौरे,हरदा म ख तो म्हारी कतिया समाज ल ग प्यारी l
एक तरफ कतिया,दूजी तरफ दुनिया सारी l
दिन भर काम करी ख आवाँ,
रात भर भजन हम गावाँ l
आसी बलिहारी छे हमारी l
म ख तो म्हारी कतिया समाज ल ग प्यारी l
कोई नौकरी कोई धाड़की,
सब ख मीनत ल ग लाड़की l
या बात म हम छे सब स अगाड़ी l
म ख तो म्हारी कतिया समाज ल ग प्यारी l
डगर डगर आरू पाँव पाँव म,
नगर नगर आरू गाँव गाँव म l
हमारो ठस्सो छे बड़ो भारी l
म ख तो म्हारी कतिया समाज ल ग प्यारी l
गाँव शयर कोई मुहल्लो,
सबै जगा छे हमारोई हल्लो l
इत्ती बड़ी महिमा छे गा हमारी l
म ख तो म्हारी कतिया समाज ल ग प्यारी l
सबै समाज स हम छे न्यारा,
नेम धरम होंण कड़ा छे सारा l
जेका ले ण हम छे सब प भारी l
म ख तो म्हारी कतिया समाज ल ग प्यारी l
गूड़ी पड़वाँ,दिवाळी होळी,
बणावाँ गूँजा,पूरणपोळी l
त्यौहार होंण म खूब ई छे आस्था हमारी l
म ख तो म्हारी कतिया समाज ल ग प्यारी l
सुख दुःख म हम साँथ साँथ छे,
या एक हम म चोख्खी बात छे l
बम् भरी देवाँ हम आँगणों उसारीl
म ख तो म्हारी कतिया समाज ल ग प्यारी l
म्हारी समाज छे सब स अच्छी,
दिल की छे या सब स सच्ची l
शत् शत् परणाम छे,ए ख हमारी l
म ख तो म्हारी कतिया समाज ल ग प्यारी l
समझणा वाळा की कविता छे,
नी तो कागत् एक बिता छे l
बजाओ ताली,आसी अरज छे म्हारी l
म ख तो म्हारी कतिया समाज ल ग प्यारी l
म ख तो म्हारी कतिया समाज ल ग प्यारी l
एक तरफ कतिया,दूजी तरफ दुनिया सारी l
- प्रहलाद सिंह चौरे,हरदा