कोरोना एफेक्ट
कलियासोत और बेतवा नदी में औद्योंगिक कचरा ना डलने से निर्मल,कंचन हो गईं दोनों नदियां
लॉक डाउन ने जल एंव वायू के साथ ध्वनि प्रदूषण पर भी लगाया लॉक,
1 महीने में ताजा हवा मिली
लॉकडाउन से उद्योग नगरी में शोर थमा,कार्बन उत्सर्जन में आई 50 प्रतिशत तक की कमी
पहले ऐसी थी स्थिति
अब है यह मनोहारी दृश्य
मंडीदीप। कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन की वजह से उद्योग नगरी की आबोहवा बदल रही है। नगर में हर तरह के प्रदूषण में खासी कमी आई है। यहां की हवा की गुणवत्ता 24 अप्रेल तक अच्छी और संतोषजनक श्रेणी में आ चुकी है।लॉकडाउन के पहले तक मंडीदीपवासी जिस दमघोंटू हवा में जकड़े थे, वह अब शुद्ध हवा में सांस ले रहे हैं। म.प्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन के कारण कलियासोत और बेतवा नदी का जल भी फिर से निर्मल होने लगा है। इन दिनों उनका प्रदूषण कम हो रहा है। लॉकडाउन की वजह से इन नदियों में औद्योगिक कचरे की डंपिंग में कमी आई है।जिससे दोनों नदियों का पानी इतना स्वच्छ हो गया है कि जो लोग कल तक इन नदियों के पानी में हाथ डालने से कतराते थे।वो ही लोग आज इनमें आंनद से डुबकी लगाने लगे हैं।
क्षेत्र में वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने में जिम्मेदार औद्योगिक क्षेत्र जैसे-ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री, पावर प्लांट्स, निर्माण की गतिविधियां, बायोमास का जलना और सड़कों पर उड़ने वाली धूल और यहां तक कि घरों में होने वाली गतिविधियां (जैसे एसी चलाना आदि) भी बंद हैं। इसके अलावा डीजी सेट, रेस्त्रां, कचरा जलाने की गतिविधियां भी बंद हैं।इन सब कारणों से वायु प्रदूषण में भारी कमी आई है।
औद्योगिक इकाइयों में कामकाज बंद होने से प्रदूषण में आई कमी
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ताजा रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस के लिए लागू यातायात संबंधी प्रतिबंधों और औद्योगिक इकाइयों में कामकाज बंद किए जाने से क्षेत्र में प्रदूषण के स्तर में खासी कमी आई है।वहीं लॉकडाउन से कलियासोत और बेतवा काफी स्वस्थ्य होती जा रहीं हैं क्योंकि इन दिनों इन दोनों नदियों में औद्योगिक कचरा डंप नहीं हो रहा है।मंडीदीप के नयापुरा से भोजपुर तक विभिन्न जगहों पर बेतवा नदी के पानी में काफी सुधार देखा गया।भोजपुर शिव मंदिर के महंत पवन गिरी का कहना है कि मंडीदीप की फैक्ट्रियों से निकलने वाले रासायनिक कचरे से बेतवा नदी बुरी तरह से प्रदूषित हो गई थी लेकिन देश में लॉकडाउन के बाद से बेतवा और कलियासोत नदी के पानी की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है।नदी का पानी साफ होने से अब तो गांव के लोग इसमें नहाने भी लगे है।वहीं वार्ड-17 के पार्षद राकेश लोवंशी बताते है कि कलियासोत नदी में खासा सुधार देखा जा रहा है, जहां बड़े पैमाने पर कचरा नदीं में डाला जाता था। उन्होंने कहा कि मंडीदीप के आसपास पानी बेहद साफ हो गया है। हालांकि घरेलू सीवरेज की गंदगी अभी भी नदी में ही जा रही है। इसके बावजूद औद्योगिक कचरा गिरना एकदम बंद ही हो गया है। इसीलिए पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के चलते आने वाले कुछ दिनों में इन नदियों के जल में और सुधार की पूरी उम्मीद है।
नदी की खुद को साफ रखने की क्षमता बढ़ी
पर्यावरणविद् सुभाष सी पांडे ने बताया कि आर्गेनिक प्रदूषण अभी भी नदीं के पानी में घुल कर खत्म हो जाता है। लेकिन औद्योगिक इकाइयों से होने वाला रासायनिक कचरा घातक किस्म का प्रदूषण है जो नदी की खुद को साफ रखने की क्षमता को खत्म कर देता है। लॉकडाउन के दौरान नदी की खुद को साफ रखने की क्षमता में सुधार के कारण ही जल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
संतोषजनक हुई हवा
पिछले कुछ दिनों में देश भर के कई शहरों और कस्बों में हवा भी काफी साफ हो गई है। पीसीबी की रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन से नगर के एक्यूआई में भारी सुधार हुआ है।पहले जहां 21 मार्च को इसका लेवल 88 था जोकि 33 दिन में 50 प्रतिशत से अधिक घटकर यह 24 तक पहुच गया था हालांकि दूसरे क्षेत्रों से आने वाली हवा के कारण शुक्रवार को एक्यूआई 93 पीएम 2.5 औसत 93,न्यूनतम 37 अधिकतम 308 और पीएम 10 औसत 73,न्यूनतम 38 अधिकतम 162 रहा।जिससे लोगो को शुद्ध हवा मिलने लगी है। नगर में औद्योगिकीकरण होने के बाद पिछले 40 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है।जब क्षेत्र के लोगो को इतनी ताजा हवा मिल रही है। जबकि सामान्य दिनों में क्षेत्र में पीएम 10 व पीएम 2.5 का स्तर 250 से 300 तक रहता है।क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 तक पहुंच जाता है।